बांका : सर्व
शिक्षा अभियान के तहत सरकार लगातार प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था में सुधार की
कोशिश कर रही है, लेकिन यह अभियान जिले में कारगर नहीं हो पा रहा है. जिले
में प्राथमिक शिक्षा की स्थित काफी खराब है.
अब भी कई विद्यालय भवनहीन हैं, लेकिन विभाग के आंकड़े के अनुसार इसकी संख्या दो दर्जन के आसपास है.
साथ ही कई विद्यालय में बच्चे को बैठने के लिए बेंच और डेस्क नहीं है. बच्चे बैठने के लिए बोरा और चट्टी अपने साथ लाते है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले का शिक्षा विभाग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए कितना तत्पर है.
अब भी कई विद्यालय भवनहीन हैं, लेकिन विभाग के आंकड़े के अनुसार इसकी संख्या दो दर्जन के आसपास है.
साथ ही कई विद्यालय में बच्चे को बैठने के लिए बेंच और डेस्क नहीं है. बच्चे बैठने के लिए बोरा और चट्टी अपने साथ लाते है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले का शिक्षा विभाग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए कितना तत्पर है.
जिले में एक लाख बच्चे ग्रहण कर रहे हैं प्राथमिक शिक्षा: विभाग से
मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल जिले में करीब एक लाख बच्चे प्राथमिक शिक्षा
ग्रहण कर रहे है. इसमें से करीब 85 प्रतिशत बच्चे ग्रामीण क्षेत्र से है.
शहरी बच्चों के लिए तो थोड़ी राहत भी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों
के लिए यह एक अभिशाप है. ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को पोशाक योजना, किताब
योजना और छात्रवृत्ति योजना का लाभ तो मिल जाता है लेकिन गुणवत्तापूर्ण
शिक्षा नहीं मिल पाती. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में शिक्षक
और छात्र का अनुपात काफी ज्यादा है.
इस कारण कई वर्ग को एक साथ मिला कर संचालन किया जाता है. उसके बाद भी
ग्रामीण क्षेत्र में अधिकारियों का भय नहीं रहने की वजह से कई शिक्षक अपने
विद्यालय से अनुपस्थित भी रह जाते है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एक
ढकोसला साबित हो रहा है.
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