परेशानी. विभाग मौन, राशि का बता रहे अभाव , 3.23 लाख शिक्षकों का वेतन जनवरी-फरवरी से है लंबित
पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूलों के करीब 3.23 लाख नियोजित शिक्षकों का फिर से तीन महीने का वेतन बकाया हो गया है. अधिकांश शिक्षकों का फरवरी महीने से और कुछ का जनवरी महीने से वेतन बकाया है. बकाये वेतन भुगतान को लेकर विभाग भी फिलहाल मौन हैं और राशि के अभाव की बात कर रहे हैं.
राज्य के स्कूलों में अप्रैल महीने से नया सत्र भी शुरू हो गया है और शिक्षकों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का टास्क भी दे दिया गया है, लेकिन उन्हें बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर असर भी पड़ रहा है. इससे पहले नियोजित शिक्षकों के लिए तीन से चार महीने के बकाये वेतन का भुगतान के लिए मार्च में होली के समय आनन-फानन में स्पेशल कैबिनेट कराकर राशि स्वीकृत की गयी थी और अप्रैल महीने से उसे शिक्षकों के खाते में दिया गया. उसके बाद दो महीने होने को है, लेकिन अब भी वेतन जारी करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. फिर से शिक्षकों को तीन से चार महीने की राशि बकाया हो गयी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने महीने के पहले सप्ताह में शिक्षकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया करने की बात कही है, लेकिन उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है. मार्च में राशि जारी करते समय शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार से राशि नहीं भी आती है तो राज्य सरकार अपने मद से शिक्षकों को हर महीने उनका वेतन देगी. शिक्षा मंत्री की घोषणा के दो महीने हो गये, लेकिन उसके बाद से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.
राज्य के नियोजित शिक्षकों जुलाई 2015 से नियत वेतन की जगह वेतनमान दिया जा रहा है. उसी समय से उनके वेतन भुगतान की समस्या आ रही है. उस समय से शिक्षकों को कभी भी समय पर वेतन नहीं मिला है. जुलाई में वेतनमान लागू होने के बाद पे-फिक्सेशन को लेकर तीन महीने तक राशि नहीं मिली. जुलाई-सितंबर 2015 की राशि एक साथ अक्टूबर-नवंबर महीने में दी गयी थी. वहीं, अक्टूबर-नवंबर की राशि जनवरी महीने में मिली. इसके बाद मार्च-अप्रैल महीने में दिसंबर से जनवरी, तो कहीं फरवरी तक की राशि का भुगतान हो सका.
स्कूल से शिक्षकों के अटेंडेंश के आधार पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को प्रखंड स्तर पर हर महीने लिस्ट तैयार कर महीने की सात तारीख तक उस लिस्ट को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को उपलब्ध कराना होता है.
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) हर महीने 11 तारीख तक राशि संबंधित बैंक को उपलब्ध करायेंगे. बैंक में राशि आने के बाद नियोजित शिक्षकों के वेतन की राशि सीधे उनके खाते में जायेगी.
शिक्षकों के भविष्य के साथ हो रहा िखलवाड़
शिक्षा विभाग बच्चों और शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. शिक्षकों को नियमित वेतन भुगतान की प्रक्रिया अब तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है. सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भी बात कर रही है, लेकिन भूखे पेट एक शिक्षक कैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकेगा. शिक्षा मंत्री लगातार आश्वासन देते हैं समय पर वेतन मिलेगा, लेकिन यह आश्वासन भी कोरा साबित हो रहा है.
अानंद कौशल, प्रदेश सचिव, बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ
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पटना : राज्य के प्रारंभिक स्कूलों के करीब 3.23 लाख नियोजित शिक्षकों का फिर से तीन महीने का वेतन बकाया हो गया है. अधिकांश शिक्षकों का फरवरी महीने से और कुछ का जनवरी महीने से वेतन बकाया है. बकाये वेतन भुगतान को लेकर विभाग भी फिलहाल मौन हैं और राशि के अभाव की बात कर रहे हैं.
राज्य के स्कूलों में अप्रैल महीने से नया सत्र भी शुरू हो गया है और शिक्षकों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का टास्क भी दे दिया गया है, लेकिन उन्हें बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है. इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर असर भी पड़ रहा है. इससे पहले नियोजित शिक्षकों के लिए तीन से चार महीने के बकाये वेतन का भुगतान के लिए मार्च में होली के समय आनन-फानन में स्पेशल कैबिनेट कराकर राशि स्वीकृत की गयी थी और अप्रैल महीने से उसे शिक्षकों के खाते में दिया गया. उसके बाद दो महीने होने को है, लेकिन अब भी वेतन जारी करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है. फिर से शिक्षकों को तीन से चार महीने की राशि बकाया हो गयी है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने महीने के पहले सप्ताह में शिक्षकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया करने की बात कही है, लेकिन उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है. मार्च में राशि जारी करते समय शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार से राशि नहीं भी आती है तो राज्य सरकार अपने मद से शिक्षकों को हर महीने उनका वेतन देगी. शिक्षा मंत्री की घोषणा के दो महीने हो गये, लेकिन उसके बाद से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है.
राज्य के नियोजित शिक्षकों जुलाई 2015 से नियत वेतन की जगह वेतनमान दिया जा रहा है. उसी समय से उनके वेतन भुगतान की समस्या आ रही है. उस समय से शिक्षकों को कभी भी समय पर वेतन नहीं मिला है. जुलाई में वेतनमान लागू होने के बाद पे-फिक्सेशन को लेकर तीन महीने तक राशि नहीं मिली. जुलाई-सितंबर 2015 की राशि एक साथ अक्टूबर-नवंबर महीने में दी गयी थी. वहीं, अक्टूबर-नवंबर की राशि जनवरी महीने में मिली. इसके बाद मार्च-अप्रैल महीने में दिसंबर से जनवरी, तो कहीं फरवरी तक की राशि का भुगतान हो सका.
स्कूल से शिक्षकों के अटेंडेंश के आधार पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को प्रखंड स्तर पर हर महीने लिस्ट तैयार कर महीने की सात तारीख तक उस लिस्ट को जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) को उपलब्ध कराना होता है.
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) हर महीने 11 तारीख तक राशि संबंधित बैंक को उपलब्ध करायेंगे. बैंक में राशि आने के बाद नियोजित शिक्षकों के वेतन की राशि सीधे उनके खाते में जायेगी.
शिक्षकों के भविष्य के साथ हो रहा िखलवाड़
शिक्षा विभाग बच्चों और शिक्षकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है. शिक्षकों को नियमित वेतन भुगतान की प्रक्रिया अब तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है. सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भी बात कर रही है, लेकिन भूखे पेट एक शिक्षक कैसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकेगा. शिक्षा मंत्री लगातार आश्वासन देते हैं समय पर वेतन मिलेगा, लेकिन यह आश्वासन भी कोरा साबित हो रहा है.
अानंद कौशल, प्रदेश सचिव, बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ
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