मधेपुरा। शिक्षा विभाग शिक्षकों का प्रमाणपत्र सौंपने में नाकाम साबित हो रहा है। स्थिति गंभीर है। विभागीय सुस्ती व लापरवाही के कारण जिला के लगभग पांच सौ से ज्यादा नियोजित शिक्षकों का प्रमाण पत्र जिला शिक्षा विभाग (स्थापना) निगरानी विभाग को सौंप नहीं पाया है।
प्रथम चरण में 415 उच्च माध्यमिक, माध्यमिक व पुस्तकालयध्यक्ष के प्रमाण पत्र की जांच की गई जो अभी भी चल रहा है। वहीं नवंबर माह से सभी प्राथमिक विद्यालय में नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच शुरू की गई। हैरानी की बात है कि जांच प्रक्रिया को लगभग छह माह से अधिक समय होने को है लेकिन स्थिति यह है कि स्थापना अभी तक मात्र चार हजार प्रमाण पत्र ही निगरानी विभाग को सौंप पाया है। जानकार का यह भी कहना है कि लगभग 300 से 400 प्रमाण पत्र में सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग व पंचायत नियोजन इकाई एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर ही है। हैरानी की बात है कि शुरूआती तेजी के बाद निगरानी विभाग भी अपनी प्रक्रि धीमी कर दी है। जांच के मामले में दिलचस्पी ले रहे लोगों का कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा बीईओ को कई बार रिमांडर देने के बावजूद अभी तक जिले के एक भी नियोजन इकाई पर प्राथमिकी दर्ज नहीं होना शिक्षा विभाग की मंशा पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है। वहीं शिक्षा विभाग का कहना है कि पंचायत नियोजन इकाई के कारण जिला के लगभग 500 शिक्षकों का प्रमाण पत्र जमा नहीं हो पा रहा है। कहीं फोल्डर नहीं मिल रहा है तो कहीं नियोजन आवेदन व पंजी नहीं मिल रहा है। यह खेल जिला में कई माह से चल रहा है।
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