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बिहार एकलौता ऐसा प्रदेश , जहाँ के शिक्षकों की सैलरी मिलने पर सभी अखबारों की Headline

अपने देश में शायद बिहार एकलौता ऐसा प्रदेश होगा जहाँ के शिक्षकों की सैलरी मिलने पर सभी अखबारों की Headline बन जाती है । एक तो 4-6 महीने में सैलरी मिलती है ऊपर से कहा जाता है...शिक्षकों की बल्ले-बल्ले,
इस बार फीकी नही रहेगी होली/दीवाली/छठ/ईद ।शिक्षकों को एकमुश्त 2-3-4 माह की सैलरी मिलेगी आदि आदि ।
लगता है जैसे कोई बहुत बड़ा दानी व्यक्ति किसी फकीर को बहुत बड़ी खैरात दे दी हो !
राशि विमुक्त होने और शिक्षकों के खाते में आते-आते तक़रीबन महीने भर समय लग जाता है ।
यहाँ तक की इसके लिये धरना-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ता है ।
कुछेक मौकों को छोड़ दिया जायें तो वेतन के दर्शन पर्व-त्योहार के मौके पर ही हो पाते है ।
अभी 5दिनों के बाद होली है और अधिकांश प्रखंड शिक्षकों के खातों तक राशि नही पहुँची है ।
राज्य सरकार,केन्द्र सरकार को कोसती है जिम्मेदार ठहराती है,जबकि चुनाव के समय इसी स्थिति में राज्य सरकार अपने स्तर से आगे राशि आबंटन की आशा में भुगतान करती है ।उस समय वोट बैंक खिसकने का जो डर रहता है ।
है न अजीब बात !
वैसे जो संघ वेतन मिलने के बाद यह कहती फ़िरती है की उनके संघ के दवाब की वजह से सरकार विवश होकर शिक्षकों के बकाये वेतन भुगतान करने के लिये सरकार तैयार हुई ।उन मठाधीशों से एकबारगी यह भी पूछा जायें की कही उन्ही के प्रेशर की वजह से तो इतना विलम्ब तो नही हुआ ?
अगर उनके संघ का इतना ही प्रेशर है तो सेवा-शर्त जो बीरबल की खीचरी बन गई है को उन्ही के प्रेशर की वजह से रोक कर रखा गया है क्या ?

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