समय जटिल है , नियोजित शिक्षकों के समक्ष दोहरी
चुनौतियाँ है । एक ओर महाधुर्त नीतीश
सरकार का नवीन सेवा शर्त रुपी इन्द्रजाल
है वहीं दूसरी ओर आपमें नफरत का
बीज बोने और संदेहपुर्ण वातावरण बनाने वाले
तथाकथित शुभेच्छु नेतागण हैं। नरक का रास्ता ऐसे शुभेच्छुओं से
भरा पड़ा है । अर्थवाद के शिकार नियोजितों के ज्यादातर संघों द्वारा
मर्यादाओं की अनदेखी की
गयी है । नहीं तो क्या कारण है
की पिछले हड़ताल में एक साथ लड़े तमाम नियोजितों में
दुरियां घटने के बजाय बढ गयी ।सभी
संवेदनशील सोचने को मजबुर हुए कि नियोजितों का क्या
होगा ? लेकिन अद्भूत सच्चाई है ऐसी कठिन
स्थिती में भी शिक्षक आगे बढ रहे हैं ।
आंदोलनों का बसंत द्वार पर है ।उपेक्षा की आग में
जल रहे नियोजित एक दूसरे का जहर पियेंगें और एक साथ सरकार
और सरकारी दलाल दोनों को परास्त करेंगे ।एक मांग
# समान काम ,समान वेतन
चुनौतियाँ है । एक ओर महाधुर्त नीतीश
सरकार का नवीन सेवा शर्त रुपी इन्द्रजाल
है वहीं दूसरी ओर आपमें नफरत का
बीज बोने और संदेहपुर्ण वातावरण बनाने वाले
तथाकथित शुभेच्छु नेतागण हैं। नरक का रास्ता ऐसे शुभेच्छुओं से
भरा पड़ा है । अर्थवाद के शिकार नियोजितों के ज्यादातर संघों द्वारा
मर्यादाओं की अनदेखी की
गयी है । नहीं तो क्या कारण है
की पिछले हड़ताल में एक साथ लड़े तमाम नियोजितों में
दुरियां घटने के बजाय बढ गयी ।सभी
संवेदनशील सोचने को मजबुर हुए कि नियोजितों का क्या
होगा ? लेकिन अद्भूत सच्चाई है ऐसी कठिन
स्थिती में भी शिक्षक आगे बढ रहे हैं ।
आंदोलनों का बसंत द्वार पर है ।उपेक्षा की आग में
जल रहे नियोजित एक दूसरे का जहर पियेंगें और एक साथ सरकार
और सरकारी दलाल दोनों को परास्त करेंगे ।एक मांग
# समान काम ,समान वेतन