पटना फर्जी डिग्री मामले में पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए बिहार के लगभग 3,000 सरकारी शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया है। इन शिक्षकों पर फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्ति लेने का आरोप है। अब, कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए इन्होंने अपना इस्तीफा दिया है। एक वकील ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने उन शिक्षकों को, जिन्होंने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है, को अब कोई भी छूट देने से इनकार कर दिया है। वकील ने बताया कि राज्य सरकार को अदालत को बताया कि फर्जी डिग्री लेकर नियुक्ति पाने वाले 3,000 शिक्षकों ने खुद ही अपना इस्तीफा संबंधित विभाग को सौंप दिया है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, शिक्षकों का इस्तीफा उच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद आया है जिसमें अदालत ने जुलाई की शुरुआत में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने वाले स्कूली शिक्षकों को इस्तीफा देने का निर्देश दे। अदालत ने राज्य सरकार को यह ताकीद भी की कि जो भी शिक्षक इस्तीफा ना दे, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
अदालत ने अपने फैसले में साफ किया कि तय समयसीमा के अंदर फर्जी डिग्री धारक जो शिक्षक खुद अपना इस्तीफा नहीं सौपेंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि नियुक्ति के बाद से उन्हें जितना वेतन मिला है, वह भी उनसे वसूल लिया जाएगा।
इससे पहले, जून में पटना उच्च न्यायालय ने बिहार विजिलेंस विभाग को निर्देश दिया था कि कथित तौर पर फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी शिक्षक के तौर पर नियुक्ति पाने वाले लगभग 40,000 सरकारी शिक्षकों की नियुक्तियों व उनके डिग्रियों की जांच करे।
रंजीत पंडित द्वारा दाखिल की गई एक याचिका के बाद अदालत ने यह फैसला दिया था। अदालत ने विजिलेंस विभाग को 4 हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था।
रंजीत पंडित के वकील, दीनू कुमार ने बताया कि अदालत ने विजिलेंस विभाग को साल 2006 से अब तक नियुक्ति किए गए सभी सरकारी शिक्षकों की डिग्रियों की जांच करने का आदेश दिया था।
दीनू कुमार ने कहा कि अदालत का यह फैसला आगामी बिहार विधानसभा के मद्देनजर बेहद अहम साबित होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जानबूझ कर दोषी शिक्षकों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई से बच रही थी।
इससे पहले, राज्य सरकार ने अदालत में यह माना था कि उसने 300,000 शिक्षकों की कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्ति की थी। सरकार ने यह भी माना कि इन नियुक्तियों के सिलसिले में उम्मीदवारों के शैक्षणिक व पेशेवर योग्यता की कोई जांच नहीं की गई।
रंजीत पंडित द्वारा उक्त याचिका साल 2014 में दायर की गई थी। उन्होंने कोर्ट से कथित तौर पर 40,000 फर्जी डिग्री धारक सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में सीबीआई जांच का आदेश देने की अपील की थी।
याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा था कि उन्होंने सूचना के अधिकार के माध्यम से जरूरी दस्तावेज जमा किए। उन्होंने दावा किया कि इन दस्तावेजों से साफ तौर पर पता चलता है कि उम्मीदवारों ने फर्जी डिग्री के माध्यम से नियुक्तियां हासिल की।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, शिक्षकों का इस्तीफा उच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद आया है जिसमें अदालत ने जुलाई की शुरुआत में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी पाने वाले स्कूली शिक्षकों को इस्तीफा देने का निर्देश दे। अदालत ने राज्य सरकार को यह ताकीद भी की कि जो भी शिक्षक इस्तीफा ना दे, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
अदालत ने अपने फैसले में साफ किया कि तय समयसीमा के अंदर फर्जी डिग्री धारक जो शिक्षक खुद अपना इस्तीफा नहीं सौपेंगे, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि नियुक्ति के बाद से उन्हें जितना वेतन मिला है, वह भी उनसे वसूल लिया जाएगा।
इससे पहले, जून में पटना उच्च न्यायालय ने बिहार विजिलेंस विभाग को निर्देश दिया था कि कथित तौर पर फर्जी डिग्री के आधार पर सरकारी शिक्षक के तौर पर नियुक्ति पाने वाले लगभग 40,000 सरकारी शिक्षकों की नियुक्तियों व उनके डिग्रियों की जांच करे।
रंजीत पंडित द्वारा दाखिल की गई एक याचिका के बाद अदालत ने यह फैसला दिया था। अदालत ने विजिलेंस विभाग को 4 हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया था।
रंजीत पंडित के वकील, दीनू कुमार ने बताया कि अदालत ने विजिलेंस विभाग को साल 2006 से अब तक नियुक्ति किए गए सभी सरकारी शिक्षकों की डिग्रियों की जांच करने का आदेश दिया था।
दीनू कुमार ने कहा कि अदालत का यह फैसला आगामी बिहार विधानसभा के मद्देनजर बेहद अहम साबित होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जानबूझ कर दोषी शिक्षकों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई से बच रही थी।
इससे पहले, राज्य सरकार ने अदालत में यह माना था कि उसने 300,000 शिक्षकों की कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर नियुक्ति की थी। सरकार ने यह भी माना कि इन नियुक्तियों के सिलसिले में उम्मीदवारों के शैक्षणिक व पेशेवर योग्यता की कोई जांच नहीं की गई।
रंजीत पंडित द्वारा उक्त याचिका साल 2014 में दायर की गई थी। उन्होंने कोर्ट से कथित तौर पर 40,000 फर्जी डिग्री धारक सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में सीबीआई जांच का आदेश देने की अपील की थी।
याचिकाकर्ता ने अदालत में कहा था कि उन्होंने सूचना के अधिकार के माध्यम से जरूरी दस्तावेज जमा किए। उन्होंने दावा किया कि इन दस्तावेजों से साफ तौर पर पता चलता है कि उम्मीदवारों ने फर्जी डिग्री के माध्यम से नियुक्तियां हासिल की।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details