भभुआ। 'इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है'
नाम ठाकुर मल्लाह, उम्र 45 वर्ष, अगर परंपरागत कार्य कर रहे होते तो किसी नदी की धार को पतवार से काटते। परंतु इन्होंने आरटीआई को पतवार बनाया है और सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर व्यवस्था में लगातार हलचल पैदा कर रहे हैं। मात्र मैट्रिक तक पढ़ाई करने व आर्थिक संकट के बावजूद ठाकुर मल्लाह की हिम्मत को देख दुष्यंत का उक्त शेर याद आता है। सात साल में 150 से अधिक आरटीआई, पंचायत में गड़बड़ी से लेकर, सेना भर्ती, एनएचएआई के टोल प्लाजा संबंधी सूचना मांग कर हलचल मचा चुके हैं। शिक्षक नियोजन में फर्जी शिक्षक के मामले को भी ये आरंभ से उठाते रहे हैं, और आधा दर्जन फर्जी शिक्षक इनके आरटीआई के कारण नौकरी गंवा चुके हैं।
जिले के दुर्गावती प्रखंड निवासी ठाकुर बताते हैं कि वे 1989 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद आर्थिक कारणों से आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। मेहनत-मजदूरी कर परिवार को पालने के साथ ही सामाजिक कार्याें में भी सक्रिय रहे। सूचना का अधिकार कानून पारित होने के बाद वे इसके विषय में अखबारों में पढ़ते रहे। धीरे-धीरे जब इसकी उपयोगिता समझ में आयी, तो इसे अपने सामाजिक कार्यो को आगे बढ़ाने के लिए बनाने के लिए पतवार बनाने को सोचा। सबसे पहले 2008 में ग्राम पंचायत के योजनाओं में गड़बड़ी को ले इस अधिकार का प्रयोग किया। सफलता मिलने पर फिर तो सिलसिला शुरू हो गया। सात साल के सफर विभिन्न महकमों से 150 से अधिक मामलों में सूचना मांग चुके हैं। क्षेत्र में इनकी पहचान आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में हो चुकी है। अब ग्रामीण भी अपनी समस्या को ले इनसे मिलते हैं, तथा वे आरटीआई में सूचना मांग उनकी सहायता करते हैं।
बताते हैं कि आरटीआई में टोल वसूली संबंधित सूचना मांगने पर जिले में टोल वसूली में गड़बड़ी सामने आयी है। मामला केंद्रीय सूचना आयोग तक गया, इसकी एक बार सुनवाई भी हो चुकी है जिसमें ठाकुर मल्लाह ने भी यहां समाहरणालय में बैठ वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से भाग लिया। शिक्षक नियोजन में कई फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति का मामला आरटरीआई के माध्यम से उजागर कर चुके हैं जिसमें आधा दर्जन से अधिक शिक्षकों की नौकरी भी गयी है। पंचायत की योजनाओं में गड़बड़ी को भी आरटीआई द्वारा उजागर किया है। जिसमें टेहरिया पंचायत का मामला चर्चित रहा था, जिसमें ग्राम सेवक पर गाज गिरी थी।
बताते हैं आरटीआई के सकारात्मक परिणाम से संतोष मिलता है। परंतु सबसे अधिक संतुष्टि सेना भर्ती से संबंधित सूचना मांगने पर मिली थी। जिसमें प्रखंड के उच्चपुरा गांव के असफल घोषित किए गए एक युवक धीरेंद्र कुमार की सहायता के लिए आरटीआई से भर्ती प्रक्रिया व मेधा सूची की जानकारी मांगी थी। भर्ती में गड़बड़ी को ठीक करने बाद धीरेंद्र को सफल घोषित किया गया।
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