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फर्जी प्रमाण पत्र, 835 शिक्षकों पर केस दर्ज

हाजीपुर :  जिले के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच के लिए शिक्षा विभाग को नियोजित शिक्षकों के फोल्डरों को निगरानी विभाग को समर्पित किया था. फर्जी डिग्री के आधार पर बहाल वैसे शिक्षकों को उनकी सेवा से बर्खास्त करने का निर्णय लिया है, जो निगरानी जांच में पकड़े जायेंगे.
उन पर निगरानी समेत विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज करना है. यह काम यथाशीघ्र करने का निर्देश विभाग ने दिया था. लेकिन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को अबतक जिले के 835 शिक्षकों का फोल्डर प्राप्त नहीं हुआ हैं. जिले के 16 प्रखंडों में कुल 10 हजार 17 नियोजित शिक्षक हैं. इनमें सबसे ज्यादा 1152 शिक्षक पातेपुर में और सबसे कम 281 शिक्षक पटेढ़ी बेलसर में हैं.
न्यायालय के आदेश की अनदेखी : सूबे में शिक्षा के गिरते स्तर को गंभीरता से लेते हुए पटना उच्च न्यायालय ने मौके देते हुए फर्जी शिक्षकों को निर्देश दिया कि वे स्वयं क्षमा याचना करते हुए त्यागपत्र दे. ऐसा करने पर उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी. क्षमा याचना के समक्ष सीमा समाप्त होने के उपरांत नियोजित शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र की जांच निगरानी से करा कर फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. इतनी सख्ती के बावजूद संबंधित विभाग लापरवाही बरत रहे हैं.
 
शिक्षकों पर हुई प्राथमिकी 
 

डीपीओ ने बताया कि जिले में नौ हजार 84 नियोजित शिक्षक-शिक्षिकाओं के फोल्डर प्राप्त  हुए थे, जिन्हें निगरानी विभाग के सुपुर्द कर दिया गया. आठ सौ 35 शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. जिनमें राघोपुर, जंदाहा और महुआ प्रखंड से 289, 142, और 156 शिक्षक हैं. अन्य प्रखंडों में हाजीपुर से 11, बिदुपुर से 26, देसरी से 40, सहदेई बुजुर्ग से 47, महनार से 47, चेहराकलां से 13, गोरौल से 38, और वैशाली से 26 ऐसे शिक्षक हैं जिन्होंने अपना-अपना शैक्षणिक और प्रशैक्षणिक प्रमाण का फोल्डर नहीं जमा किया और उनके ऊपर भी प्राथमिकी दर्ज की गई है. तकरीबन एक सौ ऐसे शिक्षक हैं जो देर-सवेर अपना फोल्डर जमा कर प्राथमिकी से बच गये.
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