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बगैर पढ़े ही पास हो रहे छात्र

खगड़िया। ऐसी पढ़ाई से क्या फायदा जब विद्यार्थी को न पढ़ाई हो और न प्रायोगिक की कक्षा मिले और परीक्षा पास हो जाए। ऐसे में तो बच्चों को 'मुन्ना भाई' बनने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है।
जी हां, जिले के कई उत्क्रमित इंटर विद्यालयों में विज्ञान संकाय की पढ़ाई नहीं हो रही है। कारण कि अब तक विज्ञान संकाय में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है।

ब्लॉग: नीतीश के 'बहार' के दावों के उलट ये है बिहार की हक़ीक़त

पटना: ‘बिहार में बहार हो नीतीशे कुमार हो’ ये नारा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का है, उन्होंने बिहार की जनता से अपील की है कि अगर बिहार में फिर से बहार लाना है तो नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाएं. नीतीश कुमार की अपील का जवाब बीजेपी ने भी एक नारे के साथ  दिया है ‘कल तक के जानी दुश्मन अब सत्ता के यार हैं, हां भैया, बिहार में बहार है’.

185 शिक्षकों के दस्तावेजों की खोज अब भी जारी

रोहतास। डीइओ के माध्यम से जिला परिषद के माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 185 नियोजित शिक्षक व 64 लाइब्रेरियनों के आवेदन पत्रों व उसके साथ सल्लंगन प्रमाण पत्रों की खोज अब भी जारी है। संबंधित लिपिक के असहयोग के कारण इन शिक्षकों के आवेदन व प्रमाणपत्र के नहीं मिलने से निगरानी जांच अधर में लटक गई है।

बकाया वेतन भुगतान की मांग को लेकर शिक्षक संघ के सदस्यों की बैठक

जमुई :बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिला सचिव रवि यादव की अध्यक्षता में संघ के सदस्यों की एक बैठक बकाया वेतन भुगतान एवं वेतन निर्धारण के मुद्दे को लेकर हुए.
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लेकर प्रधान सचिव के आदेश की अभेलना कर जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा दुर्गा पूजा की छुट्टी से पहले वेतन निर्धारण हेतु शिविर नहीं लगाये जाने की शिकायत पैक्स के माध्यम से मुख्य सचिव से की गयी.

बिहार चुनाव में मुद्दों पर कुछ इस तरह हावी है 'बदजुबानी'

पटना बिहार के चुनावी समर में उतरने से पहले तकरीबन सभी राजनीतिक दल बिहार की तस्वीर बदलने के वादे के साथ लोकतांत्रिक शुचिता की बात कर रहे थे, लेकिन मतदान की तारीखें करीब आते ही उनके सुर बदल गए हैं। राज्य के चुनावी माहौल पर अब जाति और संप्रदाय की बात के बहाने 'बदजुबानी' हावी होती जा रही है।  विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ इन नेताओं के बदजुबानी 'ब्रह्मास्त्र' बन गई है, वहीं जातियों के नाम दिए गए भाषण उत्प्रेरक बने हुए हैं।

न विरमित हुए, न वेतन मिला

रोहतास। स्थानीय डीइओ कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत लिपिक मनीष कुमार का वेतन तीन अफसरों के फेर में फंस कर रह गया है। आरडीडीई के आदेश के बावजूद डीईओ अब तक न तो उसे विरमित कर सके हैं, न आरडीडीई अपने पूर्व के आदेश को वापस ले सके हैं। इस दिशा में सिर्फ पत्राचार तक ही कार्रवाई सिमट कर रह गई है।

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