वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में शिक्षकों के प्रमोशन पर चल रहे निगरानी
जांच के क्रम में शुक्रवार को भकुटा-भकुस्टा समन्वय समिति के एक शिष्टमंडल
ने जांच समिति के समक्ष अपना पक्ष रखा। शिष्टमंडल में डॉ अरुणकांत सिंह, डॉ
विश्वनाथ चौधरी, डॉ दिवाकर पांडे व किस्मत कुमार शामिल थे।
निगरानी टीम के समक्ष शिक्षकों ने एक-एक आरोप का लिखित व मौखिक जवाब
दिया। शिष्टमंडल ने याचिकाकर्ता डॉ रामजन्म शर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा है
कि वे पूर्वाग्रह से प्रेरित हैं। उन्होंने अपने निलंबन की प्रतिक्रिया
में मनगढ़त आरोप लगाकर शिक्षक समुदाय को बदनाम व परेशान किया है। शिक्षक संघ
ने उनपर सेवानिवृति के बाद भी जबरन विश्वविद्यालय के आवास में रहने व
एमबीए एडमिशन में घोटाला का आरोप लगाया है। निगरानी टीम से उनके खिलाफ जांच
की अपील की है। इस मामले के गवाह शेरशाह कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य
धर्मराज सिंह के संबंध में कहा कि हाईकोर्ट ने उनकी सेवा समाप्त कर दी गई
थी। बाद में 2016 में व्याख्याता के पद पर उनकी सेवा का अंतर्लीनकरण किया
गया जबकि जालसाजी करके उन्होंने सेवानिवृति के बाद अपना पेंशन प्रोफेसर
रैंक के अनुसार निर्धारित करवा लिया। पूर्व में विश्वविद्यालय की ओर से इन
पर जालसाजी का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया जा चुका है।