मुकेश कुमार, लखीसराय : पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर नियोजित
शिक्षकों के प्रमाण पत्र एवं नियोजन संबंधी मामले की जांच को तीन साल पूरे
हो गए पर जिले के 1,087 नियोजित शिक्षकों के अभिलेख गुम हैं। वर्ष 2015 में
निगरानी विभाग द्वारा जांच शुरू की गई थी।
निगरानी जांच के तीन साल बीत
जाने के बाद लखीसराय जिले के नियोजित शिक्षकों का नियोजन अभिलेख का पता
नहीं चल पाना लोगों को भी सकते में डाल दिया है। इसकी जानकारी ना तो विभाग
के पास है और ना पंचायत नियोजन इकाई के पास। जिले में कार्यरत कुल 3,440
नियोजित शिक्षकों में अबतक मात्र 1,844 शिक्षकों का फोल्डर निगरानी जांच के
लिए मिल पाया है। निगरानी जांच शुरू होने के बाद 509 शिक्षक वैसे हैं
जिनके विरुद्ध विभिन्न अनियमितता को लेकर पुलिस थानों में प्राथमिकी दर्ज
की गई है। विभागीय डीपीओ द्वारा नियोजन इकाई से कई बार शिक्षकों का प्रमाण
पत्र के अलावा मेधा अंक व अन्य अभिलेख उपलब्ध कराने को कहा गया लेकिन जिले
के सभी सात प्रखंडों की 51 पंचायत नियोजन इकाई के उपलब्ध नहीं कराया है।
जिले के चानन प्रखंड में सर्वाधिक 223, पिपरिया में 22, हलसी में 39
संदिग्ध नियोजित शिक्षक हैं। निगरानी विभाग ने लिया संज्ञान
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निगरानी विभाग के पुलिस अवर निरीक्षक उपेंद्र प्रसाद ¨सह ने डीपीओ
स्थापना को तीन अप्रैल को पत्र लिखकर कहा है कि नियोजित शिक्षकों का नियोजन
से संबंधित अभिलेख एवं फोल्डर उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण निगरानी जांच
प्रभावित हो रही है। निगरानी इंस्पेक्टर ने डीपीओ से अभिलेख उपलब्ध नही
करने वाली नियोजन इकाई एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के विरुद्ध प्राथमिकी
दर्ज करने की अनुशंसा की है। क्या कहते हैं पदाधिकारी
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बार-बार पत्राचार व दूरभाष पर दिए निर्देश के बाद भी पंचायत व प्रखंड
शिक्षकों का फोल्डर व अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया गया है। शिक्षकों का अभिलेख
जमा नहीं करना संदिग्ध लग रहा है। नियोजन इकाई व बीईओ पर करवाई के लिए
जिलाधिकारी से मार्गदर्शन मांगा गया है।
- विजय कुमार मिश्र, डीपीओ स्थापना