नई दिल्लीः बिहार के 3.7 लाख नियोजित शिक्षकों के समान
वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को एक बार फिर सुनवाई करेगा.जस्टिस ए
एम सप्रे और जस्टिस यू यू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ बिहार सरकार की अपील
पर सुनवाई करेगी.दरअसल, पिछली सुनवाई में नियोजित शिक्षकों के लिए वरिष्ठ
वकील विजय हंसारिया, सलमान खुर्शीद, विभा दत्त मखीजा ने पक्ष रखा था.
वरिष्ठ
वकील विभा दत्त मखीजा ने शिक्षकों का पक्ष रखते हुए कहा था कि आरटीई एक्ट
के तहत बेहतर शिक्षा के लिए क्वालिटी टीचर पर राज्य सरकार पैसा खर्च नहीं
करना चाहती और अगर क्वालिटी टीचर चाहिए तो उसके लिए पैसे तो खर्च करने
होंगे ऐसे में राज्य सरकार इससे पीछे नहीं हट सकती.
मखीजा ने कहा था कि बेहतर शिक्षा के लिए सरकार पैसे का रोना नहीं रो
सकती.उन्होंने यूनेस्को की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि भारत
शिक्षा के क्षेत्र में करीब 50 साल पीछे है.वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ वकील विजय
हंसारिया ने कहा था कि जब तक हमारे बच्चे शिक्षित नहीं होंगे तब तक उन्हें
चाइड लेबर के लिए बाध्य होना पड़ेगा.उन्होंने कहा था कि शिक्षा के बेहतरी
को लेकर फंड के लिए सुप्रीम कोर्ट को दिशा-निर्देश देना चाहिए.सुनवाई के
दौरान कोर्ट में नियोजित शिक्षकों के लिए वकील प्रशांत शुक्ला और दिनेश
तिवारी भी मौजूद रहे थे.
*मामले को संविधान पीठ भेजने की उठी थी मांग*
इससे पहले बिहार सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने मामले को
संविधान पीठ भेजने की मांग की थी, दीवान ने कहा था कि क्योंकि इस मामले में
कुछ ऐसे संवैधानिक तथ्य हैं, जिनकी सुनवाई संविधान पीठ ही कर सकती
है.जिसपर कोर्ट ने कहा था कि मामलेको संविधान पीठ भेजने परहम आगे विचार
करेंगे लेकिन आप फिलहाल मेरिट पर बहस करें. राज्य सरकार ने कहा था कि
प्रदेश में शिक्षा का स्तर बढ़ने से इस व्यापक असर लड़कियों की शिक्षा पर
पड़ा है और 12वीं पास लड़कियों को रोजगार के अवसर मिले है, जिससे लड़कियों
में शिक्षा के प्रति झुकाव के साथ-साथ समाज में लड़कियों के प्रति शिक्षा
का दायरा बढ़ा है.राज्य सरकार ने कहा था कि शिक्षा के बेहतरी के लिए
संविधान में संशोधन कर शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू किया जोकि
एक सतत पाॅलिसी प्रकिया थी.
*"समान वेतन दिया तो स्कूलों को बंद करना पड़ जाएगा"*
इससे पहले बिहार सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा था कि
राज्य सरकार आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है कि इन शिक्षकों को समान कार्य के
लिए समान वेतन दे सके.अगर इन शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया
तो स्कूलों को बंद करना पड़ जाएगा.लिहाजा राज्य सरकार इन शिक्षकों को समान
कार्य के लिए समान वेतन देने में सक्षम नहीं है.राज्य सरकार ने कहा था कि
जिन लोगों की तुलना की जा रही है वो पुराने टाइम के कैडर शिक्षक है, इसलिए
उनके साथ इनकी तुलना नहीं की जा सकती.
*"राज्य सरकार आर्थिक तौर पर सक्षम नहीं"*
इससे पहले बिहार सरकार के वकील दिनेश द्विवेदी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था
कि राज्य सरकार आर्थिक तौर सक्षम नहीं है कि इन शिक्षकों को समान वेतन
दे.राज्य सरकार ने कहा था कि 1981 में जिन शिक्षकों की नियुक्ति शिक्षा
विभाग की ओर से की गई थी उनकी तुलना 2006 के इननियोजितशिक्षकों से नहीं की
जा सकती. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से पूछा था कि इन स्कूलों को
कौन चलाता है, स्कूलों को चलाने का जिम्मा राज्य सरकार के पास है? राज्य
सरकार ने कोर्ट को बताया था कि ये पंचायत स्कूल है, इन्हें पंचायत चलाती
है.कोर्ट ने कहा था कि इस मतलब है कि राज्य सरकार ने इन स्कूलों को चलाने
का जिम्मा लोकल बॉडी को दे रखा है.
*बिहार सरकार को केंद्र का मिला था समर्थन*
दरअसल, केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए
समान वेतन का विरोध किया था. कोर्ट में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के
स्टैंड का समर्थन किया था.केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर 36
पन्नों के हलफनामे में कहा गया था कि इन नियोजित शिक्षकों को समान कार्य
के लिए समान वेतन नहीं दियाजा सकता क्योंकि समान कार्य के लिए समान वेतन के
कैटेगरी में ये नियोजित शिक्षक नहीं आते.ऐसे में इन नियोजित शिक्षकों को
नियमित शिक्षकों की तर्ज पर समान कार्य के लिए समान वेतन अगर दिया भी जाता
है तो सरकार पर प्रति वर्ष करीब 36998 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा. केंद्र
ने इसके पीछे यह तर्क दिया था कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को इसलिए लाभ
नहीं दिया जा सकता क्योंकि बिहार के बाद अन्य राज्यों की ओर से भी इसी तरह
की मांग उठने लगेगी.
क्या है पूरा मामला?
बिहार में करीब 3.7 लाख नियोजित शिक्षक काम कर रहे हैं। शिक्षकों के वेतन
का 70 फीसदी पैसा केंद्र सरकार और 30 फीसदी पैसा राज्य सरकार देती
है.वर्तमान में नियोजित शिक्षकों (ट्रेंड) को 20-25 हजार रुपए वेतन मिलता
है.अगर समान कार्य के बदले समान वेतन की मांगमानलीजाती है तो शिक्षकों का
वेतन 35-44 हजार रुपए हो जाएगा.