पटना [राज्य ब्यूरो]। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर
नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान सुविधा के मसले पर राज्य और
केंद्र सरकार के बीच मंथन शुरू हो गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और
राज्य के शिक्षा के प्रधान सचिव के बीच हुई बैठक में कोई सहमति नहीं बन
पाई। संभावना जताई गई है कि 27 मार्च के पूर्व एक बार फिर बैठक होगी।
शिक्षा विभाग के सूत्रों ने बताया कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर
से बैठक में शिक्षा सचिव और राज्य सरकार की ओर से शिक्षा के प्रधान सचिव
आरके महाजन मौजूद थे। घंटे भर से अधिक चली बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल
सका। इस मामले में न तो केंद्र सरकार के अधिकारी कुछ बोलने को तैयार दिख
रहे हैं न ही राज्य सरकार के।
पटना हाईकोर्ट ने समान काम के बदले समान सुविधा के मसले पर बीते वर्ष 31
अक्टूबर में शिक्षक संगठनों की अपील पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को
समान वेतन देने के निर्देश दिए थे। फैसले के खिलाफ राज्य सरकार 15 दिसंबर
को अपील में सुप्रीम कोर्ट गई। इधर, शिक्षक संगठनों ने सरकार की अपील के
खिलाफ कोर्ट में केविएट दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को समान वेतन
मामले की पहली सुनवाई की।
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह मुख्य सचिव स्तर की कमेटी
बनाकर रिपोर्ट तैयार करे और कोर्ट को बताए कि नियोजित शिक्षकों को समान
सुविधा देने के लिए उसके पास क्या प्रस्ताव है। कोर्ट के आदेश पर मुख्यसचिव
अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली कमेटी ने आठ मार्च को नियोजित
शिक्षकों के समान वेतन को लेकर रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया।
रिपोर्ट के आधार पर 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और राज्य
तथा केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह तय करके बताएं कि नियोजित
शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन दिया जा सकता है या नहीं। इस मामले
की अगली सुनवाई 27 मार्च को होनी है।