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सुपौल : एक कमरे में हो रही है हाईस्कूल की पढ़ाई

बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर भले ही मंत्री सुधार होने का दावा कर रहे हों, लेकिन आपको एक ऐसे हाई स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
महज एक कमरे से हाई स्कूल संचालित हो रही है, जहां रजिस्टर में दर्ज छात्र-छात्राओं की संख्या 335 है, मगर उपस्थिति महज बानगी भर होती है.

स्कूल की सबसे खास बात यह है कि एक क्लास चलती है तो दूसरे क्लास के स्टूडेंट्स चुपचाप बैठे दिन काटने को विवश होते हैं. वहीं स्कूल प्रशासन इसे शिक्षा विभाग की लापरवाही बतला रहा है.

सुपौल जिला के बनैनियां स्थित हाई स्कूल का भवन 2010 में कोसी नदी की तेज धारा में समा गया था, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने भपटियाही मध्य विद्यालय के एक दो मंजिला इमारत के एक कमरे में इस हाई स्कूल को चलाने की अनुमति दे दी. बीते साढ़े 6 साल से उसी एक कमरे में यह स्कूल संचालित हो रहा है.

इस स्कूल में नवीं और दसवीं की कक्षा संचालित होती है. यहां पढ़ने वाली छात्राओं से हमने जब सवाल किया तो उसने कहा कि जब से स्कूल में दाखिला ली है, तभी से मुश्किलों का सामना शुरू हो गया है. एक ही कमरे में नवीं और दसवीं क्लास की पढ़ाई से स्टूडेंट काफी परेशान रहते हैं.

यहां सबसे दिलचस्प पहलू तब देखने को मिलता है, जब नवीं क्लास को शिक्षक पढ़ाते हैं, तब दसवीं के बच्चे खामोश होकर सुनते हैं और जब दसवीं की क्लास चलती है तब नवीं के बच्चे चुपचाप बैठे रहते हैं. हांलाकि इस स्कूल में संस्कृत को छोड़कर बाकि सभी विषयों के शिक्षक मौजूद हैं, जो पढ़ाया करते हैं. मगर स्कूल में पढ़ने वाले नवीं क्लास में जहां 154 स्टूडेंट नामांकित हैं, वहीं दसवीं में 181 बच्चे हैं.

स्कूल के शिक्षक भी इससे हलकान और परेशान दिखे. साथ ही इसके लिए उन्होंने शिक्षा विभाग की लापरवाही को जिम्मेदार बताया. जब हमने स्कूल के प्राचार्य से बच्चों की कमी को लेकर सवाल किया तो वे विभागीय कमी को छुपाते हुए दलील देने लगे.

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