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छत्तीसगढ में सभी नियोजित शिक्षक संघ एक मंच पर आकर आंदोलन कर रहे हैं तो बिहार में क्यों नही ?

मित्रो शिक्षक चौपाल के साथी किसी से एक रुपया चंदा लिए वगैर बिहार के 4 लाख नियोजित शिक्षकों को एक मंच पर लाने के लिए जिस प्रकार से प्रयासरत है, आज आवश्यकता इस बात की है कि आम शिक्षक इस प्रयास को आगे बढाए ।
क्योंकि 27 फरवरी के टुकड़ो में होने वाले आंदोलन का परिणाम हमलोग देख चुके है और 23 मार्च से होने वाले आंदोलन का भी लगभग यही परिणाम आएगा, यह तय है। अंततः विधान सभा का सत्र समाप्त होगा, फिर 4 लाख नियोजित शिक्षक सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजुद अपने भाग्य पर रोने के लिए विवश होगा।
👉आखिर सभी नियोजित शिक्षक एक साथ एक मंच पर आना चाहता है तो फिर कुछ मुट्ठी भर शिक्षक नेता ऐसा क्यों नही करना चाहते ?
इसका जवाब इन शिक्षक नेताओं को देना चाहिए।
👉 मित्रो छत्तीसगढ में सभी नियोजित शिक्षक संघ एक मंच पर आकर आंदोलन कर रहे हैं तो बिहार में क्यों नही ?
👉 दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात आदि राज्य के सरकारों के द्वारा समान काम समान वेतन की बात कही गई है तो फिर बिहार सरकार के द्वारा क्यों नही ?
अब ऐसा प्रतीत होने लगा है कि जिला स्तर के छोटे-छोटे शिक्षक नेताओं को प्रदेश स्तर पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगा, और प्रदेश स्तर के कुछ मुट्ठी भर शिक्षक नेताओं को नजरअंदाज करते हुए बिहार के सभी 4 लाख नियोजित शिक्षकों को एक मंच पर लाना होगा मुझे खुशी इस बात कि है कि कुछ शिक्षक नेताओं के द्वारा इस प्रकार का प्रयास प्रारंभ भी हो चुका है।
इस उम्मीद के साथ कि हम एक मंच पर आएंगे ।
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रजनीश कांत
( शिक्षक पूर्णिया)

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