पटना : टॉपर
घोटाले में प्राथमिकी दर्ज हुए अब 90 दिन होने जा रहे हैं. इस घोटाले की
प्राथमिकी छह जून को कोतवाली थाने में दर्ज की गयी थी और नियमानुसार 90
दिनों के अंदर चार्जशीट कर देना है.
इसी के तहत काफी तेजी से चार्जशीट की तैयारी की जा रही है. पुलिस की
ओर से पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद, पूर्व सचिव हरिहरनाथ झा व अन्य
कर्मचारियों के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के पूर्व शिक्षा विभाग से अभियोजन
स्वीकृति के लिए पत्र भेजा गया था. इसमें शिक्षा विभाग द्वारा पटना पुलिस
को अनुमति प्रदान की जा चुकी है. कुछ आरोपितों की अभी अभियोजन स्वीकृति
नहीं मिली है. उनके संबंध में स्वीकृति मिलने के बाद चार सितंबर के पहले तक
बिहार बोर्ड घोटाले में चार्जशीट कर दी जायेगी. इस मामले का सुपरविजन खुद
एसएसपी मनु महाराज कर रहे हैं.
जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने किया पुलिस से संपर्क : साढ़े आठ करोड़
की उत्तरपुस्तिकाओं के मामले में तलाशे जा रहे औरंगाबाद के जिला पंचायती
राज पदाधिकारी जर्नादन प्रसाद अग्रवाल ने पुलिस से संपर्क किया है. उनसे
पूछताछ की जायेगी. उन्हें भी उत्तरपुस्तिका घोटाले में आरोपित बनाया गया
है.
विदित हो कि पुलिस ने हिंदुस्तान अवामी मोरचा के औरंगाबाद जिलाध्यक्ष
अजय सिंह के घर से 400 टन में से चार टन उत्तरपुस्तिका बरामद की गयी थी.
अजय सिंह ने पुलिस को बताया था कि उन्हें जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने
रखने को कहा था और किराया भी तय हुई थी. एसएसपी मनु महाराज ने संपर्क किये
जाने की पुष्टि की और बताया कि उनसे पूछताछ की जायेगी.
पटना. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में केवल फेल को पास करवाने का ही
खेल नहीं हुआ. न ही पैसा लेकर कॉलेज को संबद्धता देने का घोटाला किया गया,
बल्कि समिति की इंटरनल खरीदारी में भी पैसों का खूब खेल हुआ. माध्यमिक और
उच्च माध्यमिक प्रभाग के नाम पर 186 एसी की खरीदारी हुई, लेकिन 54 एसी ही
जमीन पर नजर आ रहे हैं, बाकी एसी कहां गये पता नहीं. और तो और, 186
स्टेब्लाइजर की भी खरीदारी हुई थी.
सूत्रों की मानें तो एसी की खरीदारी में भी पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर
प्रसाद ने काफी गड़बड़ी की है. 90 एसी माध्यमिक और 96 एसी उच्च माध्यमिक के
नाम पर खरीदे गये थे. एसी पर 93 लाख रुपये खर्च किये गये थे. बोर्ड
कर्मचारियों की मानें, तो सभी एसी की खरीद जनवरी 2016 में दिखायी गयी है.
इनमें से उच्च माध्यमिक में चार और माध्यमिक में 50 एसी लगाये गये हैं.
50 हजार में एसी, 10 हजार में स्टेब्लाइजर : बोर्ड कर्मचारियों ने
बताया कि एक-एक एसी 50-50 हजार में खरीदे गये थे. इसी तरह प्रति
स्टेब्लाइजर 10 हजार रुपये की दर से खरीदा गया था. एसी पर 93 लाख और
स्टेब्लाइजर पर 18.60 लाख खर्च किये गये. बोर्ड कर्मचारी ने बताया कि एसी
कई एजेंसियों से लिये गये थे. बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर
प्रसाद ने एसी की खरीदारी के लिए न तो कोई टेंडर निकाला और न ही इसके लिए
बोर्ड से कोई मंजूरी ही ली गयी.
अपनी मरजी से एसी की खरीदारी कर ली गयी. ज्ञात हो कि पिछले साल इंटर
काउंसिल का सर्वर खराब हो गया था. नये सर्वर की खरीदारी 50 हजार में की
जानी थी. 50 हजार के सर्वर के लिए भी समिति ने पांच बार टेंडर निकाला,
लेकिन 93 लाख के एसी की खरीदारी बिना किसी टेंडर की ही कर ली गयी.
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