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बिहार में शिक्षकों का वेतन संशोधन: सातवें वेतन आयोग की मांग तेज

बिहार के शिक्षकों की बड़ी मांग

बिहार में कार्यरत विशिष्ट शिक्षक, विद्यालय अध्यापक, प्रधानाध्यापक और प्रधान शिक्षक लंबे समय से अपने वेतन में संशोधन की मांग कर रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि जब उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दिया जा चुका है, तो फिर सातवें वेतन आयोग (7th Pay Commission) के अनुसार वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा।

📢 5.5 लाख से अधिक शिक्षकों को मिलेगा लाभ

शिक्षक संगठनों के अनुसार यदि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की जाती हैं, तो इससे करीब 5.5 लाख शिक्षकों को सीधा लाभ मिलेगा। वर्तमान वेतन संरचना को लेकर शिक्षकों में असंतोष है और इसे लेकर सरकार से लगातार पत्राचार और मांग की जा रही है।

📝 सरकार को सौंपा गया ज्ञापन

स्नातक ग्रेड प्रशिक्षित शिक्षक संघ, बिहार की ओर से शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया है। इसमें स्पष्ट कहा गया है कि

  • स्थानीय निकाय शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा मिल चुका है

  • लेकिन वेतन अब भी सातवें वेतन आयोग के अनुरूप तय नहीं किया गया

  • यह शिक्षकों के साथ अन्याय है

⚖️ शिक्षकों की प्रमुख दलील

शिक्षकों का तर्क है कि जब अन्य राज्य कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग का लाभ मिल रहा है, तो शिक्षा विभाग के शिक्षकों को इससे अलग रखना समान कार्य – समान वेतन के सिद्धांत के खिलाफ है।

📌 शिक्षक आंदोलन की संभावना

अगर सरकार इस मांग पर जल्द निर्णय नहीं लेती है, तो शिक्षक संगठन आगे आंदोलन, धरना और प्रदर्शन की रणनीति भी अपना सकते हैं। हालांकि अभी शिक्षक इस मुद्दे को लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की बात कह रहे हैं।

🔍 सरकार की अगली कार्रवाई पर नजर

अब सभी की निगाहें बिहार सरकार के फैसले पर टिकी हैं। यदि सातवें वेतन आयोग को लागू किया जाता है, तो यह राज्य के शिक्षकों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय साबित होगा।

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