बिहार शिक्षक प्रमाणपत्र सत्यापन 2025 को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और फर्जीवाड़े पर रोक लगाने के उद्देश्य से निगरानी अन्वेषण ब्यूरो (Vigilance Investigation Bureau) ने जांच प्रक्रिया को तेज कर दिया है। राज्य के करीब 73 हजार नियोजित से विशिष्ट संवर्ग में आए शिक्षक इस जांच के दायरे में हैं।
पटना हाईकोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई
यह पूरी जांच पटना उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में की जा रही है। अदालत ने नियोजित शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया था।
भले ही संबंधित शिक्षक सक्षमता परीक्षा पास कर ‘विशिष्ट शिक्षक’ बन चुके हों, लेकिन उनके प्रारंभिक नियोजन के समय जमा शैक्षणिक दस्तावेजों की वैधता की जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है।
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया है कि अदालती आदेश का पालन हर हाल में होगा।
विश्वविद्यालय और बिहार बोर्ड जांच के घेरे में
निगरानी ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रमाणपत्र सत्यापन का दायरा काफी व्यापक है।
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17,431 प्रमाणपत्र राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों को भेजे गए हैं
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46,681 अंकपत्र और प्रमाणपत्र बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) को सत्यापन के लिए भेजे गए हैं
इन सभी दस्तावेजों की प्रामाणिकता संबंधित संस्थानों से लिखित रूप में सुनिश्चित की जा रही है।
73 हजार शिक्षकों में बढ़ी चिंता
बिहार में वर्तमान में लगभग 6 लाख शिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 73 हजार शिक्षक इस जांच से सीधे प्रभावित हो रहे हैं। निगरानी विभाग द्वारा शिक्षा विभाग को भेजे गए पत्र के बाद उन शिक्षकों में चिंता का माहौल है, जिनका सत्यापन अभी लंबित है।
हालांकि शिक्षा विभाग ने साफ कहा है कि:
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जिन शिक्षकों के दस्तावेज सही पाए जा चुके हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं
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लेकिन फर्जी प्रमाणपत्र पाए जाने पर विभागीय और कानूनी कार्रवाई तय है
फर्जीवाड़ा साबित होने पर क्या होगी कार्रवाई?
यदि किसी शिक्षक के शैक्षणिक प्रमाणपत्र फर्जी पाए जाते हैं, तो:
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नियुक्ति रद्द की जा सकती है
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वेतन वसूली की कार्रवाई संभव
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आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है
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भविष्य की सरकारी नौकरी पर रोक लग सकती है
निगरानी ब्यूरो इस मामले को जीरो टॉलरेंस नीति के तहत देख रहा है।
अब आगे क्या? (Latest Update)
शिक्षा विभाग अब उन विश्वविद्यालयों और बोर्ड से समन्वय बढ़ा रहा है, जहाँ से सत्यापन रिपोर्ट आनी बाकी है। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रक्रिया अब अपने अंतिम और निर्णायक चरण में है।
इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य:
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शिक्षा व्यवस्था से फर्जी नियुक्तियों को बाहर करना
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योग्य और ईमानदार शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित करना
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बिहार शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ाना