फर्जी शिक्षकों की फेहरिस्त लगातार बढ़ती जा रही है। निगरानी की जांच टीम ने
चार और फर्जी शिक्षकों पर बेगूसराय के बलिया थाने में मामला दर्ज कराया
है। निगरानी की टीम ने जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर भी फर्जीवाड़े
में संलिप्त होने का आरोप लगाया है।
निगरानी के इंस्पेक्टर कन्हैया लाल के
लिखित बयान पर बीते बुधवार को छोटी बलिया की मधु कुमारी, कुसमहौत की
अनुराधा कुमारी, लखमिनियां के ब्रजनंदन साह और नीमा चांदपुरा के निर्मला
कुमारी पर एफआईआर दर्ज की गई है। इन शिक्षकों पर फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार
पर नौकरी पाने का आरोप है। दर्ज मामले के आधार पर पुलिस इन शिक्षकों को
हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी। चारों नामजद शिक्षकों के डॉक्यूमेंट की जांच
बिहार बोर्ड से कराए जाने पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। नीमाचांदपुरा की
रहने वाली अनुराधा कुमारी का नियोजन मध्य विद्यालय फुलवरिया में हुआ था।
निगरानी की जांच में खुलासा हुआ कि अनुराधा शिवाजी पासवान के सर्टिफिकेट पर
फर्जी तरीके से बहाल हुई थी। साथ ही जन्म तिथि, मैट्रिक के अंक में भी
गड़बड़ी की गई थी। वहीं मधु कुमारी बीटीईटी की परीक्षा में पास नहीं हुई थीं
लेकिन वे दलालों के सहयोग से टीईटी पास का सर्टिफिकेट बनवाकर नियोजित हुई
थीं। इसके अलावा अन्य दो फर्जी शिक्षकों के डॉक्यूमेंट में हेराफेरी सामने
आई है।
कार्रवाई से दूर क्यों हैं नियोजन पदाधिकारी
बिहार टीईटी 2011 शिक्षक भर्ती घोटाले में अबतक 11 लोगों की
गिरफ्तारी कोतवाली थाने की पुलिस कर चुकी है। कई एफआईआर बेगूसराय, खगड़िया
सहित अन्य जिलों में हो चुकी हैं। लेकिन अबतक किसी बड़े नियोजन पदाधिकारी पर
कार्रवाई नहीं की गई है। 5 सितंबर को दर्ज मामले में निगरानी ने जिले के
नियोजन इकाइयों और उनके प्रभारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। बिहार बोर्ड से
नियोजन पदाधिकारियों बीटीईटी 2011 की परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की
लिस्ट की सीडी भेज दी गई थी। पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश था कि वे
सीडी देखकर ही शिक्षकों का नियोजन करें। इसके बाद भी बड़े पैमाने पर धांधली
की गई। निगरानी ने कहा है कि नियोजन पदाधिकारियों के मिली भगत के बगैर इतने
बड़े पैमाने पर धांधली संभव नहीं है। पिछले दिनों जब पटना पुलिस ने बड़े
दलाल विजय कुमार तिवारी को गिरफ्तार किया था तब उसने खुलासा किया था कि
बेगूसराय के एक बीईओ की मदद से उसने फर्जीवाड़ा किया है।
5 शातिर अब भी गिरफ्त से बाहर
30 अगस्त को गिरफ्तारी के बाद विजय तिवारी ने कहा था कि उसने
बेगूसराय में दीपक और मुकेश की मदद से फर्जी बहाली करवाई है। कई दिनों बीत
जाने के बाद भी पुलिस अब तक दीपक और मुकेश को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इस
बीच पटना पुलिस बेगूसराय में कई बार छापेमारी भी कर चुकी है। इसके अलावा
बिहार बोर्ड का कर्मी माइकल फ्रांसिस, अरविंद और अरुण भी अब तक फरार है।
11 हो चुके हैं गिरफ्तार
शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में पुलिस अब तक कुल 11 लोगों को
गिरफ्तार कर चुकी है। पुलिस बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के कर्मचारी
जटाशंकर, अमितेश, सुजीत, अमित, राजेश रंजन के साथ ही शिक्षिका सुमन कुमारी,
पूजा भारती, श्वेता, पूजा के पति अरुण और बोर्ड के सबसे बड़े दलाल विजय
तिवारी को गिरफ्तार कर चुकी है।