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24 साल से नौकरी कर रहा फर्जी शिक्षक धराया

बांका। धोरैया प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय बिरनियां में दूसरे की जगह 24 साल से शिक्षक की नौकरी करने का एक मामला सामने आया है। जांच में उसके पकड़ में आ जाने के बाद से ही शिक्षक विद्यालय छोड़ कर फरार हो गया है।
इस संबंध में जांच रिपोर्ट के बाद धोरैया बीईओ कुमार पंकज ने फर्जी शिक्षक अनिल कुमार मांझी के खिलाफ शनिवार को धोरैया थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। गोड्डा कन्नवारा निवासी अनिल कुमार मांझी नालंदा हुसैनपुर निवासी बरूण कुमार चौधरी बन कर नौकरी कर रहा था। जानकारी के अनुसार उस विद्यालय में पहले से बरुण कुमार चौधरी नाम का कोई शिक्षक था। उसकी बैंक आफ इंडिया जमशेदपुर शाखा में नौकरी हो गई। इसके बाद बरूण चौधरी ने 20 दिसंबर 1994 को ही शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। फिर इसी विद्यालय में बरूण चौधरी बन कर अनिल मांझी नौकरी करने लगा। इसकी शिकायत किसी ने डीएम कुंदन कुमार ने पिछले साल की। डीएम ने इसकी जांच का जिम्मा डीपीओ स्थापना देवनारायण पंडित और बीईओ कुमार पंकज को सौंपा। दोनों अधिकारियों ने विद्यालय पहुंच इसकी जांच की। उसका आधार कार्ड और पहचान पत्र जमा लिया गया। अधिकारियों ने उसे अपना सारा शैक्षणिक प्रमाण पत्र जमा करने को कहा। इसके लिए पहले उसने बहानेबाजी की। फिर कुछ दिनों बाद स्कूल छोड़ कर फरार हो गया। इसके बाद जांच टीम उसके गांव गई। गांव में भी वह नहीं मिला। आसपास के लोगों से आधार कार्ड के आधार पर जानकारी प्राप्त की गई। जिसमें फोटो अनिल मांझी का बताया गया। लेकिन, बरूण चौधरी नाम का कोई व्यक्ति वहां नहीं मिला। जांच रिपोर्ट के बाद डीईओ अनिल कुमार शर्मा ने भी बीईओ कुमार पंकज के खिलाफ प्राथमिकी का आदेश दिया। जिस आलोक में बीईओ ने शनिवार को थाना पहुंच इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई। जिसमें शिक्षक पर धोखाधड़ी कर सरकारी राशि हड़पने का आरोप लगा है। उसके वेतन में उठाई गई सारी राशि वसूली का भी आदेश है।

24 साल में अपने शिक्षक को नहीं पहचान सका विभाग

क्या यह संभव है 24 साल में विभाग अपने किसी शिक्षक की पहचान नहीं कर पाएगा। वह बिना विभाग की मिलीभगत किए इतने वर्षों तक नौकरी कर सरकारी राशि हड़प रहा हो। इससे साफ जाहिर होता है कि विभाग फर्जी शिक्षक या फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों को हटाने को लेकर कितना सक्रिय है। बरुण चौधरी के बांका छोड़ने की जानकारी हर किसी को थी। उनका विधिवत इस्तीफा विभाग को मिला। फिर कोई उसकी जगह बिना विभाग की जानकारी कैसे नौकरी कर लेगा। अनिल मांझी के पकड़ा जाना बांका में केवल एक उदाहरण है। पहले भी दूसरे की जगह नौकरी कर एक दर्जन शिक्षक बांका में पकड़ा जा चुका है। इसके बावजूद अभी दो दर्जन से अधिक शिक्षकों के नौकरी करने की बात सामने आ रही है। जिससे विभागीय संरक्षण प्राप्त है। बरूण की शिकायत डीएम को मिली। इसलिए उसकी गर्दन फंस गई। शिक्षा विभाग फर्जी शिक्षकों के कई ऐसे आवेदन को कूड़ा के ढेर में फेंक चुकी है।

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