मुजफ्फरपुर । फर्जी शिक्षक चिह्नित होने के बाद भी वेतन भुगतान का
मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। औराई प्रख्ाड के प्राथमिक विद्यालय
रामनगरा के शिक्षक शंभू प्रसाद के वेतन भुगतान मामले में तीन डीपीओ व एक
प्रखंड शिक्षा अधिकारी की गर्दन फंस सकती है।
उम्र में हेराफेरी कर शिक्षक बनने में सफलता तो मिल गई, लेकिन निगरानी
जांच में पकड़ लिए गए। निगरानी के पुलिस निरीक्षक मुरारी प्रसाद ने शंभू
प्रसाद के खिलाफ 15 सितंबर 2016 को औराई थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
इसमें जन्मतिथि छिपाकर दूसरी जन्मतिथि से मध्यमा परीक्षा एवं अन्य परीक्षा
उत्तीर्ण होकर नौकरी हासिल करने का आरोप है। निगरानी ने मामले की जांच में
आरोप को सत्य करार दिया।
प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी वेतन भुगतान का सिलसिला नहीं थमा।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जून 2018 तक वेतन भुगतान किया। इसमें डीपीओ
स्थापना से लेकर प्रखंड शिक्षा अधिकारी औराई की भूमिका संदेह के घेरे में
है। 2016 से लेकर जून 2018 तक तीन-तीन डीपीओ रहे। डीपीओ स्थापना के पद पर
जियाउल होदा खां, मुस्तफा हुसैन मंसूरी व ललन प्रसाद सिंह। किसी भी अधिकारी
ने बर्खास्तगी तो दूर वेतन भुगतान पर रोक तक नहीं लगाई।
फर्जी शिक्षकों के वेतन भुगतान का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे
पूर्व मीनापुर के फर्जी शिक्षकों का वेतन भुगतान हो चुका है। इसके बाद काफी
हायतौबा मची। तत्कालीन डीपीओ को निलंबित किया गया था। इसके बाद बोचहां के
एक फर्जी शिक्षक का वेतन भुगतान का खुलासा हुआ। अखबार में खबर प्रकाशित
होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ललन प्रसाद सिंह ने वेतन भुगतान पर रोक
लगाने का आदेश दिया।