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हम शिक्षक के वकील भी तो अंत में इमोशनल ब्लैकमेल कर सकते हैं जैसे उन्होंने किया

छोटा सा सुझाव है ....😊

हम शिक्षक के वकील भी तो अंत में इमोशनल ब्लैकमेल कर सकते हैं जैसे उन्होंने किया !


हम शिक्षकों की हालत वह बता सकते हैं ना कोर्ट में कि...
4 महीने तक वेतन नहीं मिलता है साल में दो या तीन ही बार वेतन मिलता है !
लगभग सभी का 5-15 साल हो गए इन लोगों को सेवा देते हुए सबों के बच्चा बच्ची का पढ़ने की और शादी की उम्र हो गई और इनके पास ₹10000 बैंक बैलेंस नहीं है जिससे वे अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दे सकें और अपनी बच्ची का विवाह करके सुखी सुखी जीवन संपन्न करने का आशीर्वाद दे सके !
इतना लाचार और बेबस बिहार के नियोजित शिक्षक है कई कई दिनों तक इनके घर में भोजन नहीं बनता है !
सैकड़ों की तादात में एसा सुनने मे आता है कि पैसा के अभाव में शिक्षकों को कई बीमारियों से उनको अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा है !
ऐसे भी नियोजित शिक्षक है जिनके आज भी मकान के ऊपर छत नहीं है !
बिहार के नियोजित शिक्षक उस मजदूर से भी बदतर है !
मजदूर भी काम खत्म करके जब जाने लगता है तो अपनी मजदूरी लेकर जाता है और उससे अपने परिवार का पालन पोषण करता है!
लेकिन बिहार के नियोजित शिक्षकों का हाल इससे भी बदतर है 4-5 महीने लगातार काम करने के बाद भी इन शिक्षकों का वेतन नसीब नहीं होता और बाजार में दुकानदार उधार नहीं देते कैसे इनकी जीवन व्यतीत होती है यह स्वयं सोच कर देखा जाए !
एक राष्ट्र निर्माता जो अपना बहुमूल्य समय देकर विद्यालय में बच्चों का भविष्य बनाने का प्रयास करता है वह स्वयं अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त नहीं यह कैसी नीति है यह कैसी सरकार है जो काम तो करवा लेती है लेकिन उस कार्य का मेहनताना देने में भी उनकी कोई रुचि नहीं है !
अंत में जज महोदय महोदय को बताया जाए एक शिक्षक छात्र छात्राओं का भविष्य बनाने का प्रयास करता है और समाज में एक मिसाल बनना चाहता है ! समाज के लिए एक आदर्श होता है जब उसके खुद परिवार के लोगों को समय से भोजन ना मिले ससमय वस्त्र और भोजन ना मिले तो वह गुणवत्तापूर्ण शिक्षण कैसे कर सकता है!
सरकार शिक्षकों का आर्थिक मानसिक शारीरिक दोहन कर रही है इसीलिए यह शिक्षक न्यायालय के द्वार पर अपनी दुर्दशा और बेबसी की कहानी बयान कर रहे हैं !
क्या ऐसे ही किसी राज्य का विकास होता है किसी एक कार्य करने के लिए किसी एक का दोहन किया जाए और यह हम सिर्फ शिक्षकों के साथ क्यों ?
महाशय हम बेबस शिक्षकों की गुहार सुनते हुए शिक्षक समाज को प्रतिष्ठा दिलाने का कार्य करें शिक्षक समाज जिंदगी भर
आपका आभारी रहेगा !!

और जहॉ तक संवैधानिक व कानुनी अधिकार की बात है तो ...
उसके लिए हाईकोर्ट के निर्णय एवं NCTE /RTE के Norms और Rule/Regulation है ही !😊

धन्यवाद !🙏🙏

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