सिटी पोस्ट लाइव डेस्क : समान काम के लिए समान वेतन के
मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज ( मंगलवार ) को सुनवाई शुरू हो गई है. इस
मामले से जुड़े अधिवक्ताओं के अनुसार यह अंतिम सुनवाई होगी क्योंकि केंद्र
और
राज्य सरकार द्वारा अपना पक्ष रखा जा चूका है..बिहार के साढ़े तीन लाख से
ज्यादा नियोजित शिक्षकों को इस फैसले का बेसब्री से इंतज़ार है. गौरतलब है
ये शिक्षक पटना हाईकोर्ट में जीत चुके हैं.लेकिन राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट
पहुँच गई है.वैसे पिछली सुनवाई में ही केंद्र सरकार ने शिक्षकों की यह
मांग मानने से यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि यह संभव नहीं है.अब
शिक्षकों की आखिरी उम्मीद सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बंधी हुई है.
12
जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में समान कार्य के लिए समान वेतन पर हो रही सुनवाई
के दौरान केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन कर दिया था .केंद्र सरकार
की दलील थी कि अगर बिहार के शिक्षकों की समान कार्य के लिए समान वेतन की
मांग लिया जाता है तो देश भर से ऐसी मांग उठने लगेगी जिसे पूरा कर पाना
संभव नहीं है. केंद्र सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया कि इन नियोजित शिक्षकों
को समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर लगभग 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त
भार आयेगा. बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़
रुपये खर्च करती है. अगर सुप्रीम कोर्ट से पटना हाईकोर्ट जैसा फैसला आता
है, तो नियोजित शिक्षकों का वेतन ढाई गुना बढ़ जायेगा और इस तरह सरकारी
खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा.
पिछली सुनवाई
में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अंतिम सुनवाई की तारीख 12 जुलाई के लिए तय
की थी. केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए और वक्त मांगा था. पिछली
सुनवाई में केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि हम बिहार को आर्थिक तौर पर
कितनी मदद कर सकते हैं, ये हम कोर्ट को अवगत कराएंगे. इसी को लेकर 12 जुलाई
को सुनवाई हुई और उसी दिन 31 जुलाई की डेट निर्धारित की गई. कोर्ट ने यह
भी कह दिया कि यह अंतिम सुनवाई होगी.