2006 में कोर्ट द्वारा नियोजन रद्द कर दिये जाने के बावजूद दो शिक्षकों
को 2016 तक भुगतान किया गया। इस बात का खुलासा तब हुआ जब मामला लोकायुक्त
में पहुंचा। जिलाधिकारी ने दोनों शिक्षकों को भुगतान की गई 16 लाख से अधिक
की राशि वसूलने का आदेश दिया है।
वही इन शिक्षकों को वेतन भुगतान करने के मामले में तत्कालीन बीइओ,
पंचायत सचिव, शिक्षा विभाग के स्थापना कार्यालय के दो कर्मचारियों पर
प्रपत्र क गठित किया गया है। जिलाधिकारी ने तत्कालीन पंचायत सचिव शंभूकांत
पासवान के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नीलाम पत्र वाद दायर करने का आदेश दिया
है।
लोकायुक्त की सुनवाई में जिलाधिकारी ने शिक्षकों के वेतन भुगतान को अवैध
मानते हुए कहा कि प्राथमिक विद्यालय महारथ टोला, पड़री के शिक्षक मुकेश
कुमार से 2007 से 13 के दौरान ली गई तीन लाख 55 हजार की राशि व 13 से 16 के
बीच के वेतन की राशि चार लाख 88 हजार और कन्या प्राथमिक विद्यालय पड़री
कहरा के शिक्षक राधाकांत पासवान से इसी अवधि के तीन लाख 35 हजार 939 और चार
लाख 88 हजार 27 रुपये राशि वसूली करने का आदेश दिया है।
इधर शिक्षकों के वेतन भुगतान मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी डा.
तकीउद्दीन अहमद के आदेश पर डीपीओ स्थापना राहुलचंद्र चौधरी ने अपने
कार्यालय के कर्मी रमेश कुमार मिश्र व रविप्रकाश पर प्रपत्र क गठित करने के
लिए आरडीडीई के पास प्रस्ताव भेजा है। उन्होंने बताया कि 27 जुलाई को
लोकायुक्त की अदालत में इस मसले पर सुनवाई होगी। लोकायुक्त ने शिक्षकों को
26 जुलाई तक राशि सरकारी खाते में जमा कराने का आदेश दिया है।
इस संबंध में आरडीडीई प्रभाशंकर सिंह ने कहा है कि प्रपत्र क गठित करने
का प्रस्ताव नहीं मिला है। प्रस्ताव मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी। वहीं
तत्कालीन बीइओ सुरेश रजक ने कहा कि हेडमास्टर की अनुपस्थिति विवरणी के आधार
पर वेतन भुगतान किया गया है। उन्हें नियोजन रद्द करने की जानकारी नहीं
है।
क्या है मामला
पड़री पंचायत में 2006 में हुए नियोजन को कोर्ट ने रद्द कर दिया था। जिला
शिक्षा विभाग के मुताबिक नियोजन रद्द होने के बावजूद शिक्षकों को वेतन
भुगतान किया गया था। कहरा प्रखंड के बीइओ अशर्फी सहनी ने बताया कि दोनों
शिक्षकों का नियोजन रद्द हो गया था। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद हुए नियोजन
में अर्हता पूरी करने के कारण दोनों शिक्षकों को फिर से बहाल कर दिया गया
और वह कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में तत्कालीन
प्रधानाध्यापक से भी स्पष्टीकरण पूछा गया है।