नालंदा। एक तरफ बिहार के नियोजित शिक्षक'समान काम के बदले समान वेतन'की
मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। दूसरी तरफ राज्य सरकार के
स्कूलों में फर्जी शिक्षक बहाली रूकने का नाम नहीं ले रही है। चंडी प्रखंड
के महकार, सालेपुर, सिरनावा सहित कई पंचायतों में शिक्षकों की सीट रिक्त
नहीं रहने के
बावजूद शिक्षकों का नियोजन प्रक्रिया जारी है। शिक्षक की
बहाली के लिए चार लाख रुपये तक की वसूली की जा रही है। जनप्रतिनिधियों एवं
सरकारी कर्मियों की सांठगांठ से पंचायतों में बड़ी संख्या में पंचायत
शिक्षकों की बहाली कर दी गई। बताते चले कि पिछले डेढ़ साल से पंचायतों में
शिक्षकों की बहाली का गोरखधंधा चल रहा है। लेकिन शिक्षा विभाग के द्वारा
इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़े
का खेल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है। जानकारी के अनुसार महकार
पंचायत में वर्ष 2008 में शिक्षकों के सिर्फ चार पद रिक्त थे। जिस पर
पंचायत नियोजन ईकाई के द्वारा शिक्षकों का नियोजन कर दिया गया। इसके बाद भी
पंचायत में रिक्तियां दिखाकर सात शिक्षकों की नियुक्ति करने का मामला
प्रकाश में आया है। सालेपुर पंचायत में भी कुछ इसी तरह का गोरखधंधा सामने
आया है। पिछले नियोजन इकाई में आठ पद रिक्त थे। जिस पर नियोजन कर दिया गया।
इसके बाद भी शिक्षकों के रिक्त सीट नहीं रहने के बाद भी छह शिक्षकों का
नियोजन शिक्षा विभाग से बिना आदेश लिए ही कर दिए गए।
शिक्षा विभाग के पदाधिकारी ने की थी जांच
तकरीबन एक साल पहले शिक्षा विभाग के डीपीओ अ¨रजय कुमार और जिला परिषद
अध्यक्ष तनुजा कुमारी ने चंडी बीआरसी कार्यालय पहुंचकर जांच की थी। जांच के
क्रम में शिक्षक बहाली में भारी गड़बड़ी भी पकड़ी थी। ¨कगपिन की भूमिका में
बीआरसी कर्मी जिला अध्यक्ष और डीपीओ के जांच के क्रम में शिक्षक बहाली में
एक बीआरसी कर्मी का नाम सामने आ रहा था। यह बीआरसी कर्मी का काम बीईओ और
पंचायत के स्कूलों में योगदान निभाने में अहम भूमिका का काम करता था।
कहते हैं पूर्व मुखिया
महकार पंचायत के पूर्व मुखिया दिनेश कुमार ने बताया कि 2018 में चार
सीट थी जो सभी पर बहाली कर दी गई थी। अब बिना सीट के ही सात शिक्षकों का
नियोजन कर दिया गया जो नियोजन प्रक्रिया के विरूद्ध है। इसकी जांच होनी
चाहिए। हद तो यह है कि विभागीय अधिकारी के संज्ञान में रहते हुए भी अब तक
इस पर कार्रवाई नहीं करना अपने-आप में एक बड़ा सवाल है।
कहते हैं बीडीओ
बीडीओ विशाल आनंद ने बताया कि चार-पांच माह पहले शिक्षा विभाग के डीपीओ
चंडी आकर इस प्रकरण की जांच की थी। उस जांच में क्या हुआ इसका अभी तक
रिपोर्ट उनके पास नहीं आया है। शिक्षकों का नियोजन हुआ या नहीं यह तो जांच
का विषय है। बहरहाल इस मामले में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई तय मानी जा रही
है।
बोले डीईओ
मोटी रकम लेकर शिक्षक नियोजन किए जाने की बात सामने आई है। इस प्रकरण
की जांच विभागीय पदाधिकारियों से कराई जा रही है। वैसे मेरे संज्ञान में
नियोजन प्रक्रिया पूरी तरह से बंद है। ऐसे में यदि कोई बिना विभागीय आदेश
प्राप्त किए बहाली कर दिया है तो उन बहाल शिक्षकों की नौकरी तो जाएगी ही।
इसमें संलिप्त अन्य लोगों पर भी सच्चाई सामने आने पर गाज गिरनी तय है।
डॉ.विमल ठाकुर
जिला शिक्षा पदाधिकारी, नालंदा