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संघ के अध्यक्षों को इस हड़ताल के विरुद्ध भर्त्सना करने से बचना चाहिए

BRPSS द्वारा किए जा रहे हड़ताल को पहले ही दिन कुछ संघों द्वारा असफल करार दिया जा रहा है जो कि मेरी समझ से अनुचित है।इतिहास के पन्नों को उलटकर देखें तो कोई भी आंदोलन पहले ही दिन परवान नहीं चढा।आंदोलन ने.धीरे धीरे अपना उग्र रूप धारण किया है।
किसी भी संघ की किसी आंदोलन को चलाने की एक रणनीति होती है एक कार्यक्रम होता है उस के अनुसार उस आंदोलन को चलाया जाता है।पहले दिन आंदोलन कैसा रहा इसके अनुसार वे आगे की रणनीति तय करते हैं।किन जगहों में आंदोलन निष्प्रभावी रहा वहाँ के लिए वे ठोस योजना बनाते हैं।लेकिन कुछ संघ अभी से उनकी असफलता को दिखाने में भिड़ गये है जो कि हास्यास्पद है।भाई एक बार उन्हें भी तो यह महसूस हो जाने दें कि अकेले इस जंग को नहीं जीता जा सकता है।अब यदि इनकी असफलताओं को खूब जोर शोर से प्रचारित करने लगें तो इनके मन में हमारे प्रति जो दुर्भावनाएं है जिनके कारण इन्होंने हमारा साथ नहीं दिया क्या वो कभी हटेंगी।हमें इन सब चीजों से बचना है।तभी हम एक मंच पर आ पाएंगे और आपसी द्वेष और अहम् को त्याग कर एक साझी रणनीति बना पाएंगे।संघों के जिलाध्यक्षो को तो इस आंदोलन पर नकारात्मक बयान देने से बचना चाहिए।हमें इस आंदोलन से फायदा उठाना चाहिए ।इसके दबने की आशा नहीं करनी चाहिए।हमें ऐसा माहौल तैयार करना चाहिए कि इन्हें हमारी मदद मांगने में कोई झिझक न हो। लेकिन इनकी असफलताओं का मजाक उड़ा कर हम खुद अपनी राह में रोड़ा अटकाने का काम करेंगे। किसी भी संघ को नीचा दिखाने की कोशिश वर्तमान समय में नहीं करेंगे।किसी को सच्चाई का आईना दिखाने के चक्कर में अप्रिय सत्य बोलने से बचेंगे। हमारी लड़ाई अभी जारी है।हमें साथ लेना है या साथ देना है

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