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अपनी जान की परवाह किये बगैर आंदोलन में अपने शरीर को झोंक देने वाले साथियों को मेरा नमन

#इतने बड़े आंदोलन और असमय धरना का परिणाम अगर बेनतीजा रहता है तो केवल और केवल बैनर मोह व् अपनी संघीय दुकानदारी की चिंता एकमात्र कारण होगी ।

आज सभी संघ एकसाथ किसी बड़े आंदोलन की घोषणा करते तो लाठीचार्ज के अपमान का न केवल बदला पूरा होता बल्कि सरकार को भी हमारे सामने झुकना पड़ता और समान काम समान वेतन की घोषणा के अलावा कोई विकल्प नही था ।सबसे दुःखद व् चिंतनीय बात तो यह है कि गर्दनीबाग में 10 कदम पर लगे अलग अलग टेंट का फासला भी हम मिटा न सके ।आम शिक्षक सभी संघों के संयुक्त घोषणा की ओर टकटकी लगाये रह गए ।अपनी जान की परवाह किये बगैर आंदोलन में अपने शरीर को झोंक देने वाले साथियों को मेरा नमन ।
#बेनतीजा आक्रोश प्रदर्शन ।

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