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नेट पास किए बगैर बन गए बीएयू में शिक्षक

भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय में पूर्व कुलपति डॉ. मेवालाल चौधरी के कार्यकाल में बगैर नेट और पीएचडी पास अभ्यर्थियों ने शिक्षक पद की नौकरी पाई है। नौकरी के लिए 2011 में विज्ञापन प्रकाशित हुआ था और 2500 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन भरा था।

आवेदन करते ही शुरू हो गई थी मोलतोल
बीएयू में आवेदन भरते ही नौकरी पाने वालों की मोलतोल शुरू हो गई थी। जिसमें कई मेधावी और उच्च डिग्री प्राप्त अभ्यर्थी अपने को बेबश समझ वंचित हो गए थे। वंचितों में से एक अभ्यर्थी ने आरटीआइ के माध्यम से नियुक्ति फर्जीवाड़ा का खुलासा किया था।
राजनीतिक दलों ने की थी आवाज बुलंद
बाद में इस मुद्दे को लेकर कई राजनीतिक दलों ने आवाज बुलंद की। विधानसभा और विधान परिषद में भी नियुक्ति घोटाला का मुद्दा खूब गरमाया था।
शोर-शराबे के बाद गवर्नर ने लिया संज्ञान
इसके उपरांत कुलाधिपति रामनाथ कोविंद ने विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की शिकायत और बीएयू के कुलपति के रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए बीएयू नियुक्ति प्रकरण की जाच के लिए एक सदस्यीय कमेटी का गठन कर दो माह में जाच रिपोर्ट देने को कहा था। जांच रिपोर्ट जमा होने के बाद गवर्नर के निर्देश पर बीएयू के कुलसचिव ने प्रथम कुलपति आरोपी डॉ. एमएल चौधरी पर प्राथमिकी दर्ज करा दी है। उन पर आरोप है कि शिक्षकों के नियुक्ति में फर्जीवाड़ा कर करोड़ों का खेल किया गया है। इतना ही नहीं प्रतिभा को दरकिनार कर कमजोर अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी गई है।
बिना नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की इन विभागों में हुई नियुक्ति
कृषि प्रसार - दो शिक्षक
कृषि अर्थशास्त्र - दो शिक्षक
शष्य विभाग - एक शिक्षक
बायो केमेस्ट्री - एक शिक्षक
बोटनी एवं प्लाट पैथोलॉजी - दो शिक्षक
फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी - एक शिक्षक
उद्यान फल - एक शिक्षक
उद्यान अलेरीकल्चर - दो शिक्षक
गणित - एक शिक्षक
ब्रीडिंग एंड जेनेटिक्स - एक शिक्षक
मृदा विज्ञान - तीन शिक्षक

साख्यिकीय - चार शिक्षक

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