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वरीयता को लेकर असमंजस में हैं शिक्षक

जमुई। इन दिनों विद्यालयों में शिक्षकों के बीच वरीयता को लेकर असमंजस व तनाव की स्थिति बनी हुई है। शिक्षकों की वरीयता को लेकर कोई स्पष्ट आदेश या निर्देश नहीं होने के कारण शिक्षकों की वरीयता को लेकर विभाग भी उधेरबुन में है।
जिले भर के 1604 मध्य व प्राथिमक विद्यालयों से पदस्थपना विवरणी के माध्यम से वरीय शिक्षकों की सूची मांगी जा रही है जिस कारण शिक्षकों में भी तनाव की स्थित देखी जा रही है। कई शिक्षक अपने 10 या 12 वर्षों की सेवाकाल पूरा करने पर अपने को वरीय मान रहे हैं, वहीं टेट पास शिक्षक नियमावली का हवाला देते हुए अपने को वरीय बता रहे हैं। नियमों की बात करें तो बिहार सरकार शिक्षा विभाग के पत्रांक 12-809 के तहत तात्कालिक शिक्षा निदेशक आशुतोष ने राज्य भर के मध्य विद्यालयों व प्राथिमक विद्यालयों में पदभार दिए जाने के संबंध में एक मार्गदर्शन जारी किया गया था जिसके तहत कहा गया है कि स्नातक शिक्षक के रूप में नियोजित शिक्षक यानी टेट पास शिक्षक बेसिक ग्रेड के नियोजित शिक्षकों से वरीय होंगे। मार्गदर्शन के लिए जारी पत्र में इस बात की भी स्पष्ट चर्चा की गई है कि स्नातक शिक्षकों में भी जो शिक्षक प्रशिक्षत हैं वे अप्रिशक्षत शिक्षकों से वरीय होंगे। माध्यिमक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी किए गए मार्गदर्शन पत्र से यह पता चलता है कि टेट पास शिक्षकों को वरीय माना जाए। परंतु जिला शिक्षा विभाग कार्यालय, जमुई द्वारा इस संदर्भ में कोई स्पष्ट पत्र या निर्देश जारी नहीं किए जाने के कारण शिक्षकों व संबंधित पदाधिकारियों को इस संदर्भ में विशेष जानकारी नहीं मिल पा रही है।
एक ओर जहां पंचायत नियोजन ईकाई द्वारा नियोजित शिक्षक अपनी वरीयता को लेकर सेवाकाल, वेतन तथा योगदान तिथि का हवाला देते हुए अपने को वरीय बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर टेट पास स्नातक शिक्षक शिक्षक नियमावली 2012 के तहत स्नातक शिक्षक होने का हवाला देते हुए अपने को वरीयता सूची में ऊपर रखने की बात कर रहे हैं। फिलवक्त यह मामला शिक्षक समुदाय में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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