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वेतन मिल जाता, तो बच जाती इन शिक्षकों की जान

चार महीने से 3.23 लाख नियोजित शिक्षकों को नहीं मिला है वेतन, जुलाई-सितंबर तक की एक साथ अक्तूबर में दी गयी थी सैलरी निर्भय
 पटना : नियोजित शिक्षकों को पिछले चार महीने से वेतन नहीं मिल पा रहा है. जो घर शिक्षकों की कमाई पर ही निर्भर हैं, वहां दो वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुट रही है. ऐसे में कई शिक्षक बीमारी की चपेट में भी आ गये हैं. पैसे व समुचित इलाज के अभाव में उनकी जान तक जा रही है.
राज्य में आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले हैं, जिसमें इलाज के अभाव में नियोजित शिक्षकों की जान चली गयी है. किसी की किडनी, तो किसी को हार्ट की बीमारी थी तो कोई ठंड लगने का भी इलाज नहीं करा सका. स्थिति यह है कि नियोजित शिक्षक की मौत के बाद भी परिवार को न तो सरकारी मदद मिली, न मुआवजा और न ही अनुकंपा के अधार पर ही नौकरी के लिए कुछ हो पा रहा है. 
 
कई परिवार तो एेसे हैं जो पैसे के अभाव में अपने परिजनों का भी समुचित इलाज नहीं करा पा रहे हैं. अंबर मंयक, सच्चिदानंद आर्य, रोहिणी कुमारी समेत शशि सिंह, निशा कुमारी, कुमारी चंदा रानी जैसे नियोजित शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने आर्थिक तंगी में इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया. जिस घर में कमानेवाला एक हो. समय पर वेतन नहीं मिलने से बच्चों की स्कूल की फीस, घर का किराया, महीने भर का राशन आदि खर्चों पर असर पड़ रहा है. 
 
केस स्टडी : 01
 
भागलपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय कोरंडा के नियोजित शिक्षक अंबर मयंक की मृत्यु इसी साल तीन जनवरी को हो गयी. उन्हें ठंड लग गयी थी, लेकिन पैसे के अभाव में उनका समुचित इलाज नहीं हो सका. उनके परिवार में उनकी पत्नी अर्चना आरती, बेटी जैली (10 साल) और बेटा अजीत (आठ साल) हैं. परिवार के सामने अब भरण-पोषण का संकट है. पत्नी अर्चना आरती कहती हैं कि तीन महीने से उनके पति को वेतन नहीं मिला था, जिससे वे तनाव में थे.  
केस स्टडी : 02
समस्तीपुर के उर्दू मध्य विद्यालय बसही के नियोजित शिक्षक सच्चिदानंद आर्य की मृत्यु छह दिसंबर को हो गयी. उन्हें लीवर की बीमारी थी. लगातार वेतन नहीं मिलने से भी समय पर इलाज नहीं हो पा रहा था. सच्चिदानंद  भी अपने पीछे पत्नी गीता भारती (इंटर पास), बेटी रूही (आठ साल) और बेटा राज (11 साल) को छोड़ गये हैं. संयुक्त परिवार के मुखिया अरुण कुमार भी एक नियोजित शिक्षक हैं और चार महीने से उन्हें भी वेतन नहीं मिला है.  
केस स्टडी : 03 
मुंगेर जिले के मध्य विद्यालय मुंढ़ेरी, हवेली खड़कपुर की शिक्षिका रोहिणी कुमारी की मृत्यु प्रसव के दौरान आठ जनवरी को हो गयी. उन्हें एक बेटा शुभम (पांच साल) और नवजात बेटी है. उनके पति अविनाश निजी स्कूल में फोर्थ ग्रेड इंप्लाई हैं. घर में माता-पिता के अलावा इनका एक छोटा भाई भी है. इस पति-पत्नी पर ही पूरे परिवार का भरण पोषण की जिम्मेवारी थी. शुभम दिल की बीमारी से पीड़ित है और उसका ऑपरेशन कराने के लिए पैसे नहीं है.
 
अविनाश कहते हैं कि किसी प्रकार की कोई सरकार मदद अब तक नहीं मिली है. अब बेटे का ऑपरेशन कैसे होगा, उन्हें खुद समझ में नहीं आ रहा है.
 
वेतन भुगतान में सरकार का जो रवैया है उसका शिकार नियोजित शिक्षक हो रहे हैं. अधिकतर शिक्षकों का घर वेतन पर ही चलता है, लेकिन वेतन भुगतान में अनियमितता की वजह से शिक्षक भूखमरी के शिकार हो रहे हैं. हालात यह है कि बीमारी का भी वह इलाज नहीं करा पा रहे हैं. सरकार मृतक शिक्षकों के आश्रितों को चार-चार लाख मुआवजा दे और अनुकंपा के आधार पर नौकरी दे. साथ ही वेतन नियमित भुगतान की व्यवस्स्था करे.
 
पूरण कुमार, प्रदेश अध्यक्ष, बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ
 
नियोजित शिक्षकों को समय पर वेतन मिले, इसके लिए सरकार कृत संकल्प है. केंद्र से राशि आने में देरी होने से वेतन भुगतान में विलंब हुआ है. जहां तक पैसे और इलाज के अभाव में शिक्षकों की मृत्यु का सवाल है, ऐसा सूचना नहीं मिली है. बावजूद इसके जिन शिक्षकों की आकस्मिक मृत्यु हुई है, उनके परिजनों को सरकार की ओर से दी जाने वाले मुआवजा की राशि दिलायी जायेगी. जो भी बकाया होगा उसका भी भुगतान कराया जायेगा.                                                                            
डा. अशोक चौधरी, शिक्षा मंत्री 
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