सारण। नियोजित शिक्षकों की 38 फाइलें गायब होने के बाद अब शिक्षा विभाग के कई कर्मियों पर गाज गिरने की संभावना बढ़ गई है। डीपीओ स्थापना कार्यालय के प्रधान सहायक को कुछ लोग फंसाने की साजिश रच रहे हैं। वहीं फाइल रखने वाला लिपिक विजिलेंस को सही जानकारी नहीं दे रहा है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक माध्यमिक शिक्षक नियोजन के 38 फोल्डर गायब कर दिया गया है।
इसका खुलासा उस समय हुआ जब विजिलेंस ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान जब फोल्डर नहीं मिला तो विजिलेंस ने जिला शिक्षा अधिकारी के लिपिक राजेश कुमार श्रीवास्तव सहित तीन लिपिकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। डीपीओ स्थापना अजीत कुमार सिंह के आवेदन पर विजिलेंस ने प्राथमिकी दर्ज की है। सूत्रों की माने तो जिस समय फोल्डर गायब हुआ है उस समय वह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लिपिक राजेश कुमार श्रीवास्तव के पास था। विजिलेंस ने जब उनसे पूछताछ शुरू की तो उन्होंने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि जब फोल्डर मुझे मिला तो मैने उसी समय डीपीओ स्थापना कार्यालय के प्रधान सहायक हरिशंकर सिंह को दे दिया। लेकिन राजेश कुमार श्रीवास्तव यह नहीं बता रहे कि कौन-कौन सा फोल्डर हरिशंकर को दिया है। वहीं डीपीओ स्थापना कार्यालय के प्रधान सहायक हरिशंकर सिंह व अन्य कर्मियों का कहना है कि जब वह फोल्डर दिया हैं तो क्यों नहीं बता रहे कि इन शिक्षकों का फोल्डर उन्होंने दिया है। उनकी शुरू से ही कार्यशैली संदिग्ध रही है। विजिलेंस के अधिकारी भी उक्त लिपिक के कार्यशैली के बारे में जानकारी हासिल कर चुके हैं। मामला चाहें जो हो, लेकिन इस मामले में कार्यालय में आने-जाने वाले कुछ शिक्षा माफियाओं का भी हाथ बताया जाता है। जिन्होंने मिलीभगत कर नियोजन का फोल्डर ही गायब करा दिया है ताकि यह मामला ही समाप्त हो जाए। इस संबंध में डीईओ ने बताया कि विजिलेंस अपना कार्य कर रही है जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी।
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इसका खुलासा उस समय हुआ जब विजिलेंस ने मामले की जांच शुरू की। जांच के दौरान जब फोल्डर नहीं मिला तो विजिलेंस ने जिला शिक्षा अधिकारी के लिपिक राजेश कुमार श्रीवास्तव सहित तीन लिपिकों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। डीपीओ स्थापना अजीत कुमार सिंह के आवेदन पर विजिलेंस ने प्राथमिकी दर्ज की है। सूत्रों की माने तो जिस समय फोल्डर गायब हुआ है उस समय वह जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लिपिक राजेश कुमार श्रीवास्तव के पास था। विजिलेंस ने जब उनसे पूछताछ शुरू की तो उन्होंने यह कहते हुए अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि जब फोल्डर मुझे मिला तो मैने उसी समय डीपीओ स्थापना कार्यालय के प्रधान सहायक हरिशंकर सिंह को दे दिया। लेकिन राजेश कुमार श्रीवास्तव यह नहीं बता रहे कि कौन-कौन सा फोल्डर हरिशंकर को दिया है। वहीं डीपीओ स्थापना कार्यालय के प्रधान सहायक हरिशंकर सिंह व अन्य कर्मियों का कहना है कि जब वह फोल्डर दिया हैं तो क्यों नहीं बता रहे कि इन शिक्षकों का फोल्डर उन्होंने दिया है। उनकी शुरू से ही कार्यशैली संदिग्ध रही है। विजिलेंस के अधिकारी भी उक्त लिपिक के कार्यशैली के बारे में जानकारी हासिल कर चुके हैं। मामला चाहें जो हो, लेकिन इस मामले में कार्यालय में आने-जाने वाले कुछ शिक्षा माफियाओं का भी हाथ बताया जाता है। जिन्होंने मिलीभगत कर नियोजन का फोल्डर ही गायब करा दिया है ताकि यह मामला ही समाप्त हो जाए। इस संबंध में डीईओ ने बताया कि विजिलेंस अपना कार्य कर रही है जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी।
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