Random-Post

नियोजित शिक्षकों के मूल्यांकन का आदेश तुगलकी फरमान : शिक्षक संघ, ... तो मंत्री, MLA, IAS और IPS का भी हो मूल्यांकन

पटना : राज्य सरकार द्वारा नियोजित शिक्षकों के मूल्यांकन के आदेश को टेट-एस-टेट उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (टीएसयूएनएसएस) गोप गुट के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक ने सोमवार को तुगलकी फरमान करार दिया
है. उन्होंने कहा है कि हर छह माह पर नियोजित शिक्षकों का मूल्यांकन करने संबंधी आदेश जारी कर सरकार 'समान काम-समान वेतन' के मामले पर पटना हाईकोर्ट के आदेश को लागू करने के मुद्दे से ध्यान भटकाने की नाकाम कोशिश कर रही है.

पाठक ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों के मूल्यांकन का आदेश, सरकार के तुगलकी फरमानों कड़ी में एक नया अध्याय है. देश के किसी भी राज्य में, किसी भी सेवा शर्त में इस प्रकार के मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है. अगर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए यह आवश्यक है, तो सिर्फ नियोजित शिक्षकों का मूल्यांकन हीं क्यों? और अगर बेहतर कार्य संस्कृति के लिए है, तो पहले मंत्री, विधायक, आईएएस, आईपीएस और अन्य पदाधिकारियों का भी हो.

नियोजित शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाये जाने को लेकर भी पाठक ने सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि कभी 'जिविका दीदी' से निरीक्षण, तो कभी शौचालय निर्माण कार्य एवं ओडीएफ में ड्यूटी, छह महीने से बिना वेतन कार्य, बिना पाठ्य-पुस्तक के ही बच्चों को पढ़ाने और उनका मूल्यांकन करने जैसी स्थितियों से निबटने के बाद सरकार का यह एक नया शिगूफा है. वहीं, इस मौके पर संघ के प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि टेट और एस-टेट शिक्षक एनसीटीई के सभी मापदंडों को पूरा कर शिक्षक बने हैं. हम किसी भी प्रकार के मूल्यांकन से डरते नहीं हैं. लेकिन, पहले पटना हाईकोर्ट के फैसले को लागू किया जाये. शिक्षकों के सेवा सेवा शर्त के अनुरूप हम सभी शैक्षणिक कार्य करेंगे. इससे इतर गैर शैक्षणिक कार्य का आदेश मानने के लिए हम सभी बाध्य नहीं हैं. 

Recent Articles