जमुई। खुले में शौच की निगरानी करने के अलावे दर्जनों गैर शैक्षणिक कार्य
में लगाकार सरकार शिक्षा को बर्बाद करने की साजिश रच रही है। उपरोक्त बातें
सूबे के शिक्षकों की ड्यूटी खुले में शौच की निगरानी करने में लगाए
जाने का विरोध करते हुए मंगलवार को बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश सचिव आनंद कौशल ¨सह ने कही। प्रदेश सचिव कहा कि शिक्षा मंत्री ही शिक्षकों का ध्यान बच्चों की पढ़ाई से भटकाने के लिए खुले में शौच की निगरानी करने जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों को शिक्षकों पर थोपने का चक्रव्यूह रच रहे हैं। साथ ही शिक्षा को बर्बाद करने के लिए शिक्षा विभाग भी दो पैरों बाले पशु की तरह चल रहा है। यह बात बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले दो करोड़ बच्चों के माता-पिता को भी अब समझ में आ चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य में चाहे जनगणना का काम हो, मतदाता सूची बनाने का अभियान चलाया जा या फिर शराब बंदी को लेकर मानव श्रृंखला निर्माण जैसे कोई भी बड़ा अभियान सरकार अपने हाथ में लेती है तो उसमें सबसे पहले शिक्षकों को झोंक कर बच्चों की चल रही पढ़ाई को बंद करवा देती है। बिहार में शिक्षकों से हमेशा उन कामों को करने के लिए कहा जा रहा है जिनका शिक्षण कार्य से कोई संबंध नहीं है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को खुले में शौच की निगरानी में लगाने से न केवल स्कूल जाने से पहले करने वाले स्वाध्याय जैसे शैक्षणिक कार्य प्रभावित होगा, बल्कि यह आदेश शिक्षकों का अपमान है। उन्होंने कहा कि शिक्षामंत्री अविलंब शिक्षकों से माफी मांगते हुए अपना आदेश वापस लें अन्यथा पूरे बिहार में लाखों शिक्षक व करोड़ों अभिभावक एक साथ सड़क पर उतर कर आक्रोशपूर्ण जन आंदोलन प्रारंभ कर देंगे।
जाने का विरोध करते हुए मंगलवार को बिहार पंचायत नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश सचिव आनंद कौशल ¨सह ने कही। प्रदेश सचिव कहा कि शिक्षा मंत्री ही शिक्षकों का ध्यान बच्चों की पढ़ाई से भटकाने के लिए खुले में शौच की निगरानी करने जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों को शिक्षकों पर थोपने का चक्रव्यूह रच रहे हैं। साथ ही शिक्षा को बर्बाद करने के लिए शिक्षा विभाग भी दो पैरों बाले पशु की तरह चल रहा है। यह बात बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले दो करोड़ बच्चों के माता-पिता को भी अब समझ में आ चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य में चाहे जनगणना का काम हो, मतदाता सूची बनाने का अभियान चलाया जा या फिर शराब बंदी को लेकर मानव श्रृंखला निर्माण जैसे कोई भी बड़ा अभियान सरकार अपने हाथ में लेती है तो उसमें सबसे पहले शिक्षकों को झोंक कर बच्चों की चल रही पढ़ाई को बंद करवा देती है। बिहार में शिक्षकों से हमेशा उन कामों को करने के लिए कहा जा रहा है जिनका शिक्षण कार्य से कोई संबंध नहीं है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को खुले में शौच की निगरानी में लगाने से न केवल स्कूल जाने से पहले करने वाले स्वाध्याय जैसे शैक्षणिक कार्य प्रभावित होगा, बल्कि यह आदेश शिक्षकों का अपमान है। उन्होंने कहा कि शिक्षामंत्री अविलंब शिक्षकों से माफी मांगते हुए अपना आदेश वापस लें अन्यथा पूरे बिहार में लाखों शिक्षक व करोड़ों अभिभावक एक साथ सड़क पर उतर कर आक्रोशपूर्ण जन आंदोलन प्रारंभ कर देंगे।