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शिक्षकों के लिए आॅकड़ो की बाजीगरी नही चलेगी : शत्रुघ्न

पटना ब्यूरो- माध्यमिक शिक्षक संघ पटना उच्च न्यायालय द्वारा राज्य के नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन के न्याय निर्णय के फैसले के विरूद्ध राज्य सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करने के फैसले पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया है।

रविवार को जमाल रोड स्थित संघ के सभागार में आयोजित सभी जिला सचिवों की बैठक बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष श्री केदार नाथपाण्डेय, सदस्य, बिहार विधान परिषद् की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सभी ने एक स्वर से पटना उच्च न्यायालय द्वारा नियोजित शिक्षकों के लिए जो एतिहासिक न्याय निर्णय दिया है उसे उच्चतम न्यायालय में बरकरार रखने के लिए हर प्रकार की कुर्बानी देने का संकल्प लिया गया।
संघ के महासचिव श्री शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद ने जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में इस बात पर भी क्षोभ प्रकट किया गया कि जिस सरकार के सदन के अन्दर और सदन के बाहर सार्वजनिक तौर पर सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू करने की बिहार की जनता के सामने घोषणा की थी वह वादा खिलाफी कर रही है। सरकार आम अवाम को गुमराह करने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा प्रचारित उच्च न्यायालय के न्यायादेश के लागू करने पर वेतन मद में व्यय होने वाले आंकडे़ भ्रामक और गुमराह करने वाले हैं। *शिक्षा विभाग ने भी माननीय उच्च न्यायालय के सामने लिखित रूप से समान काम के बदले समान वेतन के संबंध में सिर्फ 9900 करोड़ का ही आंकड़ा पेश किया था। इसको भी माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया और अपने न्याय निर्णय में खंडपीठ ने लिखा कि यह शिक्षकों के साथ छल करना है बावजूद इसके सरकार आंकड़ों को जानबूझकर उच्चतम न्यायालय को भी गुमराह करने की साजिश करने का दुःसाहस कर रही है। जबकि नियोजित शिक्षकेां को समान काम के बदले समान वेतन देने में मात्र 6000 करोड़ लगेंगे और इनमें भारत सरकार से प्राप्त हो रहे विभिन्न केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं की राशि भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि इस पर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ अलग से अवमानना याचिका भी दायर करेगा

श्री सिंह ने कहा है कि वित्तीय प्रक्रिया यह है कि केन्द्र सरकार द्वारा गठित वेतन आयोगों की सिफारिश राज्य सरकार द्वारा लागू करने की स्थिति में उसकी क्षतिपूर्ति की भरपाई भी केन्द्र सरकार ही करती है। इसलिए सरकार इस तरह की बयानबाजी और अर्नगल प्रलाप करना छोड़ दें अन्यथा आने वाले दिनों में राजनैतिक मोर्चे पर भी राज्य के करोड़ों अभिभावक जिन के बाल बच्चों का शोषण हो रहा है वे भी आन्दोलन करने को विवश होंगे।

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