बेतिया। स्थानीय प्रखंड में प्रखंड शिक्षकों के स्थानांतरण का मुद्दा
कौन सा मोड़ लेगा और किस हद तक अधिकार क्षेत्र और नियमों के लिए माखौल
बनेगा। इसको लेकर शिक्षा विभाग और शिक्षकों में चिंता का विषय बना हुआ है।
गत वर्ष तेरह प्रखंड शिक्षकों के स्थानांतरण को शिक्षा विभाग के अधिकारियों
ने न केवल रद्द कर दिया।
बल्कि बार बार उन्हें अपने मूल विद्यालय में वापस भेजने के लिए कई पत्र भी जारी किये गए। मगर स्थिति यह है कि प्रखंड नियोजन इकाई पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा प्रेषित पत्रों का कोई असर हीं नही पड़ रहा है। इस वजह स्थानांतरण का मामला संबंधित शिक्षकों द्वारा कार्यरत विद्यालय में जहां चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं कुछ विद्यालयों में तो बवाल का कारण भी। प्रेक्षकों की मानें तो मध्य विद्यालय महुआवा उर्दू में भेजी गई शिक्षिका वाजदा तरन्नुम भी उन्हीं शिक्षकों में से एक हैं। जिसके तहत तेरह प्रखंड शिक्षकों का एक साथ स्थानांतरण कर दिया गया था। इस स्थानांतरण को शिक्षा विभाग प्रावधान के अनुरूप नही मानता। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना द्वारा नरकटियागंज बीडीओ को 29 फरवरी की तिथि में हीं भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया कि यह स्थानांतरण प्रावधान के विपरीत है। इसकी समीक्षा की गई और बीडीओ द्वारा अपने स्तर से इस स्थानांतरण को स्थगित करने का अनुरोध किया गया। इतना हीं नहीं उस पत्र में यह भी स्पष्ट करने की बात कही गई कि किस परिस्थिति में विभागीय आदेश के विरूद्ध शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी गत 10 मई को बीडीओ सह सचिव प्रखंड नियोजन समिति को भेजे पत्र में कहा है कि 19 मार्च 16 के पत्र द्वारा जिले के सभी स्थानांतरण रद्द किया गया है। किंतु उनके स्तर से शिक्षक एवं शिक्षिका को मूल विद्यालय में विरमित नही किया गया। इसके कारण अधिकांश विद्यालयों में पठन पाठन बाधित कर हंगामा किया जा रहा है। इस पत्र में भी डीईओ द्वारा यह स्थानांतरण रद्द करते हुए अविलंब मूल विद्यालय में वापस कर योगदान सुनिश्चत कराने का निर्देश दिया गया। बावजूद इसके आज तक वे स्थानांतरित सभी शिक्षक उसी जगह बने हुए हैं। अपने मूल विद्यालय में नही लौटाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन प्रखंड उपप्रमुख प्रेम नारायण ओझा ने भी प्रखंड शिक्षकों के तबादले को लेकर प्रखंड परिसर में अनशन किया था।
इनसेट
बिना अनुमोदन किया गया स्थानांतरण
कई माह पूर्व तेरह प्रखंड शिक्षकों का स्थानांतरण प्रखंड नियोजन समिति द्वारा कर दिया गया। वे अपने अपने स्थानांतरित व चहेते विद्यालयों में बड़ी तेजी के साथ योगदान भी कर लिए। मगर यह स्थानांतरण विभागीय प्रावधानों के विपरीत मानते हुए डीईओ ने इसे रद्द कर दिया। बताया जाता है कि स्थानांतरण के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी से अनुमोदन लेना है। अनुमोदन के आलोक में स्थानांतरण की प्रक्रिया नियोजन समिति आगे बढ़ाएगी। जो ऐसा नही किया गया। इतना हीं नही स्थानांतरित शिक्षकों को वेतन प्राप्त करने में भी अड़चने हैं और बिना वेतन प्राप्त किए कई माह से स्थानांतरित विद्यालय में बने हुए हैं। प्रखंड नियोजन समिति द्वारा शिक्षा विभाग के पत्र के आलोक में भी अब तक उन्हें मूल विद्यालय नही भेजा गया।
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बल्कि बार बार उन्हें अपने मूल विद्यालय में वापस भेजने के लिए कई पत्र भी जारी किये गए। मगर स्थिति यह है कि प्रखंड नियोजन इकाई पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा प्रेषित पत्रों का कोई असर हीं नही पड़ रहा है। इस वजह स्थानांतरण का मामला संबंधित शिक्षकों द्वारा कार्यरत विद्यालय में जहां चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं कुछ विद्यालयों में तो बवाल का कारण भी। प्रेक्षकों की मानें तो मध्य विद्यालय महुआवा उर्दू में भेजी गई शिक्षिका वाजदा तरन्नुम भी उन्हीं शिक्षकों में से एक हैं। जिसके तहत तेरह प्रखंड शिक्षकों का एक साथ स्थानांतरण कर दिया गया था। इस स्थानांतरण को शिक्षा विभाग प्रावधान के अनुरूप नही मानता। जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना द्वारा नरकटियागंज बीडीओ को 29 फरवरी की तिथि में हीं भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया कि यह स्थानांतरण प्रावधान के विपरीत है। इसकी समीक्षा की गई और बीडीओ द्वारा अपने स्तर से इस स्थानांतरण को स्थगित करने का अनुरोध किया गया। इतना हीं नहीं उस पत्र में यह भी स्पष्ट करने की बात कही गई कि किस परिस्थिति में विभागीय आदेश के विरूद्ध शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया। जिला शिक्षा पदाधिकारी ने भी गत 10 मई को बीडीओ सह सचिव प्रखंड नियोजन समिति को भेजे पत्र में कहा है कि 19 मार्च 16 के पत्र द्वारा जिले के सभी स्थानांतरण रद्द किया गया है। किंतु उनके स्तर से शिक्षक एवं शिक्षिका को मूल विद्यालय में विरमित नही किया गया। इसके कारण अधिकांश विद्यालयों में पठन पाठन बाधित कर हंगामा किया जा रहा है। इस पत्र में भी डीईओ द्वारा यह स्थानांतरण रद्द करते हुए अविलंब मूल विद्यालय में वापस कर योगदान सुनिश्चत कराने का निर्देश दिया गया। बावजूद इसके आज तक वे स्थानांतरित सभी शिक्षक उसी जगह बने हुए हैं। अपने मूल विद्यालय में नही लौटाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि तत्कालीन प्रखंड उपप्रमुख प्रेम नारायण ओझा ने भी प्रखंड शिक्षकों के तबादले को लेकर प्रखंड परिसर में अनशन किया था।
इनसेट
बिना अनुमोदन किया गया स्थानांतरण
कई माह पूर्व तेरह प्रखंड शिक्षकों का स्थानांतरण प्रखंड नियोजन समिति द्वारा कर दिया गया। वे अपने अपने स्थानांतरित व चहेते विद्यालयों में बड़ी तेजी के साथ योगदान भी कर लिए। मगर यह स्थानांतरण विभागीय प्रावधानों के विपरीत मानते हुए डीईओ ने इसे रद्द कर दिया। बताया जाता है कि स्थानांतरण के लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी से अनुमोदन लेना है। अनुमोदन के आलोक में स्थानांतरण की प्रक्रिया नियोजन समिति आगे बढ़ाएगी। जो ऐसा नही किया गया। इतना हीं नही स्थानांतरित शिक्षकों को वेतन प्राप्त करने में भी अड़चने हैं और बिना वेतन प्राप्त किए कई माह से स्थानांतरित विद्यालय में बने हुए हैं। प्रखंड नियोजन समिति द्वारा शिक्षा विभाग के पत्र के आलोक में भी अब तक उन्हें मूल विद्यालय नही भेजा गया।
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