10 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा। न्यायाधीश एएम सप्रे और यूयू ललित की खंडपीठ में सुनवाई चली।
सरकार समान वेतन देने में असमर्थ
राज्य सरकार की ओर से ओर से श्याम दीवान, दिनेश द्विवेदी और आरके द्विवेदी ने पक्ष रखा। राजय सरकार की ओर से लगातार कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने में सरकार असमर्थ है। केंद्र सरकार की ओर से भी अटार्नी जनरल वी वेणुगोपाल ने भी समान वेतन देने में वित्तीय स्थिति का जिक्र किया था। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ की ओर से अधिवक्ता रंजीत कुमार, प्राथमिक शिक्षक संघ के कपिल सिब्बल और विजय हंसरिया ने सरकार के पक्ष का काउंटर किया।
झूठ बोल रही राज्य सरकार
शिक्षक संघ की ओर से कहा गया कि राज्य सरकार झूठ बोल रही है। झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल के शिक्षकों की तुलना में बिहार में अधिक वेतन 25 हजार रुपए लेकर भी नहीं पढ़ाने के राज्य सरकार की ओर से दलील को झूठ बताया। सभी कोटि के नियोजित शिक्षकों और पुस्तकाध्यक्षों को समान काम समान वेतन दिलाने की अपील की। शिक्षक संघ की ओर से तर्क दिया गया कि नियोजित शिक्षकों के परिश्रम के कारण ही 6 से 14 आयु वर्ग के 98 प्रतिश बच्चों का नामांकन स्कूल में हो चुका है।
52 हजार करोड़ का पड़ेगा भार
सरकार के वकील ने कहा कि समान वेतन देने की आर्थिक स्थिति नहीं है। पहले भी केंद्र सरकार की ओर से एटार्नी जनरल वेणु गोपाल ने कहा था समान वेतन देने में 1.36 लाख करोड़ का अतिरिक्त भार केंद्र सरकार को वहन करना संभव नहीं है। राज्य सरकार के वकील ने भी कहा था कि आर्थिक स्थिति नहीं कि 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को पुराने शिक्षकों के बराबर समान वेतन दे सके। समान काम समान वेतन देने पर सरकार को सालाना 28 हजार करोड़ का बोझ पड़ेगा। एरियर देने की स्थिति में 52 हजार करोड़ भार पड़ेगा। जुलाई 2015 से ही शिक्षकों को वेतनमान दिया जा चुका है। 2015 में 14 और 2017 में लगभग 17 प्रतिशत शिक्षकों के वेतन में बढ़ोतरी भी हुई है।
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में कब कब हुई थी सुनवाई
- 29 जनवरी 2018
- 15 मार्च 2018
- 12 जुलाई 2018
- 31 जुलाई 2018
- 1 अगस्त 2018
- 2 अगस्त 2018
- 7 अगस्त 2018
- 8 अगस्त 2018
- 9 अगस्त 2018
- 14 अगस्त 2018
- 16 अगस्त 2018
- 21 अगस्त 2018
- 23 अगस्त 2018
- 28 अगस्त 2018
- 29 अगस्त 2018
- 5 सितंबर 2018
- 6 सितंबर 2018
- 19 सितंबर 2018
- 25 सितंबर 2018
31 अक्टूबर 2017 में पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया था।