प्रिय आम शिक्षक साथियों,
नमस्कार/सुप्रभात,
पुरे बिहार भर में कुल 17 संघ है। सभी के नाक ऊँचे है , कोई किसी से कम नहीं है! सभी अपने अपने संघ को पूरे बिहार में एकछत्र राज की बात करते है मगर आंदोलन के वक्त उनके पास कुछ एक हज़ार - दो हजार या फिर पाँच हज़ार से ज्यादा की संख्या नहीं रहती है क्यों???
मेरे हिसाब से प्रत्येक संघ के पास कम से कम 25,000 संघीय पदाधिकारी जैसे भी होने चाहिए थे। जो हर समय संघ के लिए समर्पित हो। तब कोई भी आंदोलन कोई एकलौता संघ अकेले भी लड़ सकते हैं। मगर किसी भी संघ की ऐसी व्यवस्था नहीं है। इसे इस रूप में समझने की कोशिश करते है:-----
1 प्रदेश अध्यक्ष
1 प्रदेश उपाध्यक्ष
1 प्रदेश महासचिव
1 कोषाध्यक्ष
1 प्रदेश प्रवक्ता
1 प्रदेश मीडिया प्रभारी
1 प्रदेश सोसल मीडिया प्रभारी
1 प्रदेश प्रबंधन समिति सदस्य
5 प्रदेश सचिव
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लगभग 13 प्रदेश स्तर के पदाधिकारी
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इसी तरह 38 ज़िले है वहाँ भी लगभग सभी संघों में 10-12 संघीय पदाधिकारी से कम नहीं है फिर भी 10 की संख्या के हिसाब से 38 जिलों में ...
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38×10=380 जिला स्तर के पदाधिकारी,
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पुरे बिहार में 534 प्रखंड हैं तो प्रखंड स्तर पर 534 प्रखंडों में नियुक्त पदाधिकारियों की संख्या.....
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534×10=5340 प्रखण्ड स्तरीय पदाधिकारी,
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और
8463 पंचायत में दो-दो पदाधिकारी के हिसाब से...
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8463×2=16926 पंचायत स्तर के पदाधिकारी
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नियुक्त होने चाहिए। इसके अलावे प्रमंडल, अंचल और संकुल स्तर पर दो–तीन हज़ार संघीय पदाधिकारी नियुक्त किये जाते है इस तरह से संघों के दावों के अनुसार लगभग 25,000 (पच्चीस हजार) सदस्य एक संघ के पास होना चाहिए!
मगर आपको लगता है कि ऐसा है??
आपका जबाब होगा नहीं!!!
हालांकि दावा सभी करते है मेरा संघ पुरे बिहार में है।
अगर उनके दावों पर ध्यान दिया जाये तो 17 संघों के पास कुल मिलाकर 4,25,000 सदस्य होना चाहिए। मतलब प्रत्येक आम शिक्षक एक संघीय पदाधिकारी होना चाहिए था।
फिर भी आज कोई भी आंदोलन असफल हो रहे हैं इसका क्या कारण हो सकते है??
तो आपका जबाब होगा सभी संघों का एक नहीं होना, एक मंच पर नहीं आना। सभी संघों के अपने अपने तर्क हैं मगर कहीं न कहीं वे वे अपने निजी स्वार्थ के लिए एक होना ही नहीं चाहते और आंदोलन अकेले अकेले करते है। आज सारे शिक्षक, विभिन्न संघो को एक नहीं होने के कारण खिन्न हैं। फिर भी अकेले अकेले आंदोलन आखिर क्यों???
हालाँकि सभी 17 संघो को साथ लेकर चलना भी मुश्किल है इसलिए मात्रा 10 संघ पर कैलकुलेशन किया जाये....!
नहीं-नहीं! 10 संघ को भी छोड़िये....!छोड़िये.......!!
मात्रा 05 संघ को ही मानकर चलते हैं कि वे एकसाथ होकर आंदोलन करेंगे तब भी आंदोलन सफल जरूर होगा। कैसे???इसको देखा जाये----
22,659संघीय पदा0×5संघ= 1,13,295 (मतलब एक लाख तेरह हज़ार दो सौ पंचानबे) मतलब एक लाख से ऊपर नियुक्त सिर्फ संघीय पदाधिकारी ही हो जायेंगे।आम शिक्षक आम शिक्षक होंगे सो अलग।
हमारे समझ से तो ये संघीय पदाधिकारी की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होना ही शिक्षक आंदोलन के विफलता का कारण है। इसलिए संघो के प्रमुख से पूछिए की संघीय व्यवस्था को मजबूत क्यों नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा करने में असफल हैं तो अपनी अपनी दुकानदारी बंद कीजिये। नहीं तो एक मंच पर आइये और एक साँझा कार्यक्रम तय करके उचित समय पर आंदोलन कीजिये जिसमे आम शिक्षक हर संभव आपकी मदद करेंगे। ताकि हमसभी 4-4.5 लाख शिक्षकों का भविष्य सँवर सके।
धन्यवाद!

नमस्कार/सुप्रभात,
पुरे बिहार भर में कुल 17 संघ है। सभी के नाक ऊँचे है , कोई किसी से कम नहीं है! सभी अपने अपने संघ को पूरे बिहार में एकछत्र राज की बात करते है मगर आंदोलन के वक्त उनके पास कुछ एक हज़ार - दो हजार या फिर पाँच हज़ार से ज्यादा की संख्या नहीं रहती है क्यों???
मेरे हिसाब से प्रत्येक संघ के पास कम से कम 25,000 संघीय पदाधिकारी जैसे भी होने चाहिए थे। जो हर समय संघ के लिए समर्पित हो। तब कोई भी आंदोलन कोई एकलौता संघ अकेले भी लड़ सकते हैं। मगर किसी भी संघ की ऐसी व्यवस्था नहीं है। इसे इस रूप में समझने की कोशिश करते है:-----
1 प्रदेश अध्यक्ष
1 प्रदेश उपाध्यक्ष
1 प्रदेश महासचिव
1 कोषाध्यक्ष
1 प्रदेश प्रवक्ता
1 प्रदेश मीडिया प्रभारी
1 प्रदेश सोसल मीडिया प्रभारी
1 प्रदेश प्रबंधन समिति सदस्य
5 प्रदेश सचिव
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लगभग 13 प्रदेश स्तर के पदाधिकारी
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इसी तरह 38 ज़िले है वहाँ भी लगभग सभी संघों में 10-12 संघीय पदाधिकारी से कम नहीं है फिर भी 10 की संख्या के हिसाब से 38 जिलों में ...
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38×10=380 जिला स्तर के पदाधिकारी,
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पुरे बिहार में 534 प्रखंड हैं तो प्रखंड स्तर पर 534 प्रखंडों में नियुक्त पदाधिकारियों की संख्या.....
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534×10=5340 प्रखण्ड स्तरीय पदाधिकारी,
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और
8463 पंचायत में दो-दो पदाधिकारी के हिसाब से...
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8463×2=16926 पंचायत स्तर के पदाधिकारी
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नियुक्त होने चाहिए। इसके अलावे प्रमंडल, अंचल और संकुल स्तर पर दो–तीन हज़ार संघीय पदाधिकारी नियुक्त किये जाते है इस तरह से संघों के दावों के अनुसार लगभग 25,000 (पच्चीस हजार) सदस्य एक संघ के पास होना चाहिए!
मगर आपको लगता है कि ऐसा है??
आपका जबाब होगा नहीं!!!
हालांकि दावा सभी करते है मेरा संघ पुरे बिहार में है।
अगर उनके दावों पर ध्यान दिया जाये तो 17 संघों के पास कुल मिलाकर 4,25,000 सदस्य होना चाहिए। मतलब प्रत्येक आम शिक्षक एक संघीय पदाधिकारी होना चाहिए था।
फिर भी आज कोई भी आंदोलन असफल हो रहे हैं इसका क्या कारण हो सकते है??
तो आपका जबाब होगा सभी संघों का एक नहीं होना, एक मंच पर नहीं आना। सभी संघों के अपने अपने तर्क हैं मगर कहीं न कहीं वे वे अपने निजी स्वार्थ के लिए एक होना ही नहीं चाहते और आंदोलन अकेले अकेले करते है। आज सारे शिक्षक, विभिन्न संघो को एक नहीं होने के कारण खिन्न हैं। फिर भी अकेले अकेले आंदोलन आखिर क्यों???
हालाँकि सभी 17 संघो को साथ लेकर चलना भी मुश्किल है इसलिए मात्रा 10 संघ पर कैलकुलेशन किया जाये....!
नहीं-नहीं! 10 संघ को भी छोड़िये....!छोड़िये.......!!
मात्रा 05 संघ को ही मानकर चलते हैं कि वे एकसाथ होकर आंदोलन करेंगे तब भी आंदोलन सफल जरूर होगा। कैसे???इसको देखा जाये----
22,659संघीय पदा0×5संघ= 1,13,295 (मतलब एक लाख तेरह हज़ार दो सौ पंचानबे) मतलब एक लाख से ऊपर नियुक्त सिर्फ संघीय पदाधिकारी ही हो जायेंगे।आम शिक्षक आम शिक्षक होंगे सो अलग।
हमारे समझ से तो ये संघीय पदाधिकारी की व्यवस्था दुरुस्त नहीं होना ही शिक्षक आंदोलन के विफलता का कारण है। इसलिए संघो के प्रमुख से पूछिए की संघीय व्यवस्था को मजबूत क्यों नहीं किया जा रहा है। अगर ऐसा करने में असफल हैं तो अपनी अपनी दुकानदारी बंद कीजिये। नहीं तो एक मंच पर आइये और एक साँझा कार्यक्रम तय करके उचित समय पर आंदोलन कीजिये जिसमे आम शिक्षक हर संभव आपकी मदद करेंगे। ताकि हमसभी 4-4.5 लाख शिक्षकों का भविष्य सँवर सके।
धन्यवाद!
