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अब शिक्षकों को बर्खास्तगी का भी डर नहीं


गया। मैट्रिक व इंटर की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य नहीं हो पा रहा है। इंटर की कॉपियों का मूल्यांकन तो शुरू भी हुई है। परंतु, मैट्रिक की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य शुरू नहीं हो पाया है। एक अप्रैल से ही कॉपियों का मूल्यांकन कार्य शुरू करना था।
शहर के पांच मूल्यांकन केंद्रों पर मैट्रिक की कॉपियों का मूल्यांकन कार्य शुरू करना था। मैट्रिक की कॉपियों का मूल्यांकन में वीक्षण कार्य के लिए ड्यूटी पर लगाए गए शिक्षकों को अब बर्खास्तगी का भी डर समाप्त हो चुका है। मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने डीएम व एसपी को निर्देश दिया कि वीक्षण कार्य नहीं करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई करें। फिर भी, किसी भी मूल्यांकन केंद्र पर शिक्षकों ने शुक्रवार को मूल्यांकन कार्य नहीं किया। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ पटना के निदेश पर शहर के मूल्यांकन केंद्रों पर वीक्षकों का सत्याग्रह जारी रहा। हालांकि, शुक्रवार को वीक्षक मूल्यांकन केंद्रों पर योगदान करने के लिए पहुंचे। परंतु, लौट कर पु़न: स्कूल चले गए। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ, गया ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अगर सरकार चाहे तो बात करके उनकी मांगों को पूरा कर दें। जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होगी। उन लोगों का सत्याग्रह जारी रहेगा। अगर जिला प्रशासन सत्याग्रह कर शिक्षकों से अपमान जनक या फिर कार्रवाई की ता संघ बर्दाश्त नहीं करेगा। संघ के जिला सचिव डा अनुज कुमार, जिलाध्यक्ष रागीब हसन, डा मनोज कुमार निराला, उमाशंकर, पीपी प्रियदर्शी, संजीव कुमार ने सत्याग्रह कर रहे शिक्षकों का हौसला बढ़ाया। डीईओ ठाकुर मनोरंजन प्रसाद ने पत्र जारी कर कहा है कि मूल्यांकन कार्य में बाधा पहुंचाने वाले और विक्षकों पर भी कार्रवाई की जाएगी। डीईओ सभी स्कूलों के प्राचार्यो से कहा कि जिन शिक्षकों को मूल्यांकन केंद्र पर परीक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया है। उन्हें ड्यूटी ज्वाईन करने की सूचना दें। ताकि मूल्यांकन कार्य शुरू हो जाए। अब हर दिन परीक्षकों को प्रतिदिन 30-35 से बढ़ाकर 50 कॉपियों की जांच करना है। अब हर दिन तीन घंटे वाले विषयों की कॉपियों की जांच 70-80 से बढ़ाकर 90 कॉपियों की जांच करना होगा। जो शिक्षक मूल्यांकन कार्य नहीं करेंगे उन्हें अनुपस्थित मानते हुए वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा। साथ ही सेवा में टूट भी मानी जाएगी। परीक्षा संचालन अधिनियम 1981 के सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत कार्रवाई की जाएगी। मान्यता प्राप्त वित्त रहित शिक्ष संस्था के शिक्षकों द्वारा अगर बहिष्कार किया जाता है। तो मूल्यांकन कार्य में बाधा डाला जाता है। तो ऐसे शिक्षण संस्थानों का अनुदान की राशि का भुगतान नहीं किया जाएगा।

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