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नियोजित शिक्षकों को पूर्ण राज्यकर्मी का दर्जा लेकिन शिक्षा के स्तर का क्या : बिहार शिक्षक नियोजन Latest Updates

पटना (सं.सू.)। राज्य मंत्रिमंडल ने नियोजित शिक्षकों को एक जुलाई, 2015 से वेतनमान देने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी है। गुरुवार को राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक में पंचायती राज एवं शहरी निकायों के माध्यम से नियोजित सभी प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों एवं पुस्तकालय अध्यक्षों को 5200-20200 रु. का वेतनमान देने का फैसला लिया गया। मंत्रिमंडल के इस फैसले से राज्य के चार लाख, पांच हजार, 347 नियोजित शिक्षकों को लाभ मिलेगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि नियोजित शिक्षकों को सरकार ने अब पूर्ण राज्यकर्मी का दर्जा प्रदान कर दिया है। मंत्रिमंडल समन्वय सचिवालय विभाग के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा ने बताया कि करीब चार लाख, पांच हजार नियोजित शिक्षकों को वेतनमान दिए जाने से सरकारी खजाने पर हर साल 2948.49 करोड़ रुपये का वित्तीय भार बढ़ेगा।

प्रशिक्षित प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों एवं पुस्तकालय अध्यक्षों को एक जुलाई, 2015 से 5200-20200 रु. का वेतनमान देय होगा। इस पर प्राथमिक शिक्षक को 2000 रुपये, प्राथमिक शिक्षक (स्नातक ग्रेड), माध्यमिक शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्ष को 2400 रुपये तथा उच्च माध्यमिक शिक्षक को 2800 रुपये का ग्रेड-पे देय होगा। पूर्व में की गई सेवा के पक्ष में प्रत्येक तीन वर्ष की सेवा के लिए तीन प्रतिशत की दर से एक वार्षिक वेतन वृद्धि देय होगी।





शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने बताया कि अप्रशिक्षित प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों को 5200-20200 रु. के वेतनमान में एक जुलाई से 5200 का बेसिक वेतन देय होगा, परंतु ग्रेड-पे देय नहीं होगा। अप्रशिक्षित प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शिक्षकों को प्रशिक्षित होने के बाद अनुशंसित वेतनमान का ग्रेड-पे दिया जाएगा। पूर्व में की गई सेवा के लिए प्रत्येक तीन वर्ष की सेवा पर तीन प्रतिशत की दर से एक वार्षिक वेतन-वृद्धि देय होगी।





प्रशिक्षित, अप्रशिक्षित प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों एवं पुस्तकालय अध्यक्षों की सेवा-शर्त के तहत सेवा निरंतरता, ऐच्छिक स्थानांतरण, सेवाकालीन प्रशिक्षण, प्रोन्नति, अनुशासनिक प्राधिकार एवं अन्य सेवा शतरें के निर्धारण हेतु वित्त, पंचायती राज, शिक्षा, सामान्य प्रशासन और नगर विकास विभागों के प्रधान सचिव व सचिव एवं प्रधान अपर महाधिवक्ता की एक उच्चस्तरीय समिति गठित की गई है। यह समिति विस्तृत जांच कर तीन महीने के अंदर अपनी अनुशंसा सरकार को सौंप देगी।





शिक्षा विभाग द्वारा जारी संकल्प के आलोक में प्रशिक्षित व अप्रशिक्षित प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों व पुस्तकालय अध्यक्षों को यूटीआइ रिटायरममेंट बेनेफिट पेंशन फंड से भी आच्छादित किया गया है। इन्हें सरकारी कर्मियों के अनुरूप घोषित महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, मकान किराया भत्ता एवं वार्षिक वेतन-वृद्धि देय होगी। एक जुलाई को देय वेतन में न्यूनतम 20 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। जिन मामलों में 20 प्रतिशत से कम वृद्धि निर्धारित होगी, वैसे मामलों में 20 प्रतिशत तक वृद्धि करने के लिए 100 के गुणक में राशि जोड़ी जाएगी, जिसे व्यक्तिगत वेतन माना जाएगा। व्यक्तिगत वेतन पर महंगाई भत्ता देय नहीं होगा।





विशेषज्ञों का कहना है कि हालाँकि सरकार के इस कदम से 5 लाख लोगों को लाभ होगा लेकिन सवाल उठता है कि क्या ऐसा करने से बिहार की प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार हो जाएगा। वास्तविकता तो यह है कि जिन शिक्षकों पर सरकार वारी जा रही है उनका नियोजन गलत तरीके से हुआ है उनमें से तीन चौथाई से अधिक इस योग्य हैं ही नहीं कि वे शिक्षक का काम कर सकें। उनमें से अधिकतर शिक्षकों की हालत वही है जो कभी डॉ. राजेंद्र प्रसाद की कॉपी पर उनके परीक्षक ने लिखा था कि इक्जामिनी ईज बेटर दैन इक्जामिनर। कहने का तात्पर्य यह है कि जिस तरह से वोट बैंक के लिए बिहार सरकार ने मूर्खतापूर्ण तरीके से शिक्षकों का नियोजन किया था उसी तरह से उसने एक बार फिर से वोट बैंक के लिए बिहार की जनता की गाढ़ी कमाई को पानी की तरह बहाने का निर्णय लिया है।

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