सीतामढ़ी़। एक ओर जहां सरकार द्वारा शिक्षकों के शैक्षणिक - प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच कराया जा रहा है, औरं फर्जी प्रमाण पत्रधारी शिक्षकों को त्याग पत्र देने का निर्देश दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए जिले में दलालों का रैकेट सक्रिय है, जो अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर मोटी रकम की बदौलत फर्जी शिक्षकों की नौकरी बरकरार रखने में कामयाब हो रहे है। इतना ही नहीं सरकार द्वारा प्रमाण पत्रों की जांच के लिए गठित निगरानी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
कुछ ऐसा ही मामला डुमरा प्रखंड में सामने आया है। आरटीआइ के तहत शिक्षक की डिग्री फर्जी होने के खुलासे व मेधा सूची निर्माण में अनियमितता उजागर होने के बाद भी कई शिक्षक सालों से अपने पद पर बने हुए है। हैरत की बात यह की बीईओ द्वारा मामले में कार्रवाई तक नहीं की गई है। लिहाजा मामला अब डीएम के पास पहुंच गया है। जानकी स्थान निवासी सुनील कुमार व विकास कुमार द्वारा डीएम को आरटीआइ के तहत मिली सूचना के साथ आवेदन देकर फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
क्या है मामला : मामला डुमरा प्रखंड के भासर मच्छहा दक्षिणी पंचायत का है। यहां वर्ष 2006 में पंचायत शिक्षक के पद पर नियोजन किया गया। इसके तहत मनोज कुमार ¨सह, धीरेंद्र कुमार, रीता कुमारी व प्रभात चक्रवर्ती का नियोजन किया गया। नियोजन इकाई द्वारा मेधा सूची प्रकाशन में अनियमतता बरती गई। नियोजित चारों शिक्षकों का प्रमाण पत्र गांधी विवि इलाहाबाद द्वारा जारी है। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा उक्त डिग्री को अमान्य घोषित किया जा चूका है। मेधा सूची में क्रम संख्या 1, मनोज कुमार ¨सह के डिग्री की जगह व्हाइटनर का उपयोग किया गया। आरटीआइ के तहत पंचायत सचिव द्वारा उपलब्ध कराए गए मेधा सूची की छाया प्रति से इसका खुलासा हुआ है। दूसरी ओर मनोज कुमार ¨सह, प्रभात चक्रवर्ती व रीता कुमारी द्वारा स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रे¨नग, असम, गुवाहाटी द्वारा जारी दो वर्षीय डिप्लोमा इन पीएसटीई का प्रमाण पत्र मुहैया कराया गया है। जो निदेशक आरबी भाटिया के नाम से वर्ष 1996 में जारी किया गया है। हैरत की बात यह की स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रे¨नग, असम, गुवाहाटी के निदेशक श्री जयंता ठाकुरिया द्वारा 13 मई 2015 को आरटीआइ के तहत जानकी स्थान निवासी विकास कुमार को भेजे गए सूचना में बताया गया है कि आर भाटिया नाम का कोई भी निदेशक संस्थान में नहीं रहा है। वहीं
प्रभात चक्रवर्ती के नाम किसी भी तरह का प्रमाण पत्र संस्थान ने नहीं जारी किया। इस खुलासे के बाद डीएम
को आवेदन दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि पंचायत सचिव व बीईओ द्वारा मिलीभगत कर फर्जी प्रमाण
पत्र धारी शिक्षकों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं शिकायत करने पर बीईओ द्वारा मामला निगरानी के
अधीन बता कर हाथ खड़े कर लिया गया है। दोनों आवेदकों ने डीएम से अपने स्तर से मामले की जांच कराते हुए फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त करने के अलावा बीईओ डुमरा व पंचायत सचिव भासर मच्छहा दक्षिणी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
कहते है बीईओ
बीईओ डुमरा डॉ. अमरेंद्र पाठक ने बताया है कि शिक्षकों द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रमाण पत्र निगरानी को सौंप दिया गया है। मामला निगरानी के अधीन है। हालांकि शिकायत के आलोक में शिक्षकों को स्पष्टीकरण जारी करते हुए प्रमाण पत्र सौंपने का निर्देश दिया गया है। वहीं पंचायत सचिव को भी नियोजन से संबंधित कागजात उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। बीईओ ने कहा है कि मामले में जो भी विधि सम्मत कार्रवाई होगी, की जाएगी। किसी कीमत पर फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों को सेवा में नहीं रहने दिया जाएगा।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details
कुछ ऐसा ही मामला डुमरा प्रखंड में सामने आया है। आरटीआइ के तहत शिक्षक की डिग्री फर्जी होने के खुलासे व मेधा सूची निर्माण में अनियमितता उजागर होने के बाद भी कई शिक्षक सालों से अपने पद पर बने हुए है। हैरत की बात यह की बीईओ द्वारा मामले में कार्रवाई तक नहीं की गई है। लिहाजा मामला अब डीएम के पास पहुंच गया है। जानकी स्थान निवासी सुनील कुमार व विकास कुमार द्वारा डीएम को आरटीआइ के तहत मिली सूचना के साथ आवेदन देकर फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
क्या है मामला : मामला डुमरा प्रखंड के भासर मच्छहा दक्षिणी पंचायत का है। यहां वर्ष 2006 में पंचायत शिक्षक के पद पर नियोजन किया गया। इसके तहत मनोज कुमार ¨सह, धीरेंद्र कुमार, रीता कुमारी व प्रभात चक्रवर्ती का नियोजन किया गया। नियोजन इकाई द्वारा मेधा सूची प्रकाशन में अनियमतता बरती गई। नियोजित चारों शिक्षकों का प्रमाण पत्र गांधी विवि इलाहाबाद द्वारा जारी है। जबकि शिक्षा विभाग द्वारा उक्त डिग्री को अमान्य घोषित किया जा चूका है। मेधा सूची में क्रम संख्या 1, मनोज कुमार ¨सह के डिग्री की जगह व्हाइटनर का उपयोग किया गया। आरटीआइ के तहत पंचायत सचिव द्वारा उपलब्ध कराए गए मेधा सूची की छाया प्रति से इसका खुलासा हुआ है। दूसरी ओर मनोज कुमार ¨सह, प्रभात चक्रवर्ती व रीता कुमारी द्वारा स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रे¨नग, असम, गुवाहाटी द्वारा जारी दो वर्षीय डिप्लोमा इन पीएसटीई का प्रमाण पत्र मुहैया कराया गया है। जो निदेशक आरबी भाटिया के नाम से वर्ष 1996 में जारी किया गया है। हैरत की बात यह की स्टेट काउंसिल आफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रे¨नग, असम, गुवाहाटी के निदेशक श्री जयंता ठाकुरिया द्वारा 13 मई 2015 को आरटीआइ के तहत जानकी स्थान निवासी विकास कुमार को भेजे गए सूचना में बताया गया है कि आर भाटिया नाम का कोई भी निदेशक संस्थान में नहीं रहा है। वहीं
प्रभात चक्रवर्ती के नाम किसी भी तरह का प्रमाण पत्र संस्थान ने नहीं जारी किया। इस खुलासे के बाद डीएम
को आवेदन दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि पंचायत सचिव व बीईओ द्वारा मिलीभगत कर फर्जी प्रमाण
पत्र धारी शिक्षकों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं शिकायत करने पर बीईओ द्वारा मामला निगरानी के
अधीन बता कर हाथ खड़े कर लिया गया है। दोनों आवेदकों ने डीएम से अपने स्तर से मामले की जांच कराते हुए फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त करने के अलावा बीईओ डुमरा व पंचायत सचिव भासर मच्छहा दक्षिणी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
कहते है बीईओ
बीईओ डुमरा डॉ. अमरेंद्र पाठक ने बताया है कि शिक्षकों द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रमाण पत्र निगरानी को सौंप दिया गया है। मामला निगरानी के अधीन है। हालांकि शिकायत के आलोक में शिक्षकों को स्पष्टीकरण जारी करते हुए प्रमाण पत्र सौंपने का निर्देश दिया गया है। वहीं पंचायत सचिव को भी नियोजन से संबंधित कागजात उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। बीईओ ने कहा है कि मामले में जो भी विधि सम्मत कार्रवाई होगी, की जाएगी। किसी कीमत पर फर्जी डिग्रीधारी शिक्षकों को सेवा में नहीं रहने दिया जाएगा।
सरकारी नौकरी - Government Jobs - Current Opening All Exams Preparations , Strategy , Books , Witten test , Interview , How to Prepare & other details