पटना। फर्जी प्रमाण पत्र पर बहाल शिक्षकों को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने फर्जी एवं जाली कागजातों पर बहाल शिक्षकों को स्वेच्छा से त्यागपत्र देने का आदेश दिया। स्वेच्छा से त्याग पत्र देने वाले शिक्षकों पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाएगी। साथ ही उन्हें वेतन आदि पर दिए गए सरकारी पैसे को वसूलने से साफ मना कर दिया। अदालत ने कहा कि तय समय सीमा के भीतर त्याग पत्र नहीं दिया और फिर जांच में उनके कागजात फर्जी पाए गए, तो उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनसे पैसे भी वसूल किए जाएंगे।
अदालत को बताया कि निगरानी के सभी अधिकारियों को शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांचने के काम में लगाया गया है। फिर भी प्रमाण पत्रों की जांच में तीन-चार माह का समय लग जाएगा। उनका कहना था कि निगरानी में 9 डीएसपी हैं। प्रत्एक डीएसपी को एक-एक प्रमंडल में लगाया गया है। उनके यहां 38 इंस्पेक्टर हैं। सभी को एक-एक जिला का भार दिया गया है। उनका कहना था कि हायर सेकेंडरी, सेकेंडरी तथा प्राइमरी स्कूलों में तैनात शिक्षकों का प्रमाण पत्र जांच करना कोई आसान काम नहीं है। लगभग तीन लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करनी है। प्रत्एक के पास कम से कम 6-7 प्रमाण पत्र हैं। वहीं आवेदक के वकील दीनू कुमार ने अदालत को बताया कि फर्जी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच नहीं की जा रही है।
अदालत ने राज्य सरकार को दो दिनों के भीतर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सूचना प्रकाशित करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि वैसे फर्जी शिक्षक जो जाली कागजातों पर बहाल हुए हैं, उन्हें स्वेच्छा से त्याग पत्र देने की अनुमति दी जाए। ऐसे शिक्षकों पर किसी प्रकार की कार्रवाई एवं दिए गए पैसे की वसूली नहीं की जाएगी। तय सीमा के बाद बाकी बचे नियुक्त शिक्षकों की जांच की जाएगी। जांच में फर्जी पाए जाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सहित पैसा की वसूली की जाएगी। पैसा की वसूली उनकी संपत्ति बेचकर की जाए। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद करने का निर्देश दिया।
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अदालत को बताया कि निगरानी के सभी अधिकारियों को शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांचने के काम में लगाया गया है। फिर भी प्रमाण पत्रों की जांच में तीन-चार माह का समय लग जाएगा। उनका कहना था कि निगरानी में 9 डीएसपी हैं। प्रत्एक डीएसपी को एक-एक प्रमंडल में लगाया गया है। उनके यहां 38 इंस्पेक्टर हैं। सभी को एक-एक जिला का भार दिया गया है। उनका कहना था कि हायर सेकेंडरी, सेकेंडरी तथा प्राइमरी स्कूलों में तैनात शिक्षकों का प्रमाण पत्र जांच करना कोई आसान काम नहीं है। लगभग तीन लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच करनी है। प्रत्एक के पास कम से कम 6-7 प्रमाण पत्र हैं। वहीं आवेदक के वकील दीनू कुमार ने अदालत को बताया कि फर्जी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच नहीं की जा रही है।
अदालत ने राज्य सरकार को दो दिनों के भीतर प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सूचना प्रकाशित करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि वैसे फर्जी शिक्षक जो जाली कागजातों पर बहाल हुए हैं, उन्हें स्वेच्छा से त्याग पत्र देने की अनुमति दी जाए। ऐसे शिक्षकों पर किसी प्रकार की कार्रवाई एवं दिए गए पैसे की वसूली नहीं की जाएगी। तय सीमा के बाद बाकी बचे नियुक्त शिक्षकों की जांच की जाएगी। जांच में फर्जी पाए जाने वाले शिक्षकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सहित पैसा की वसूली की जाएगी। पैसा की वसूली उनकी संपत्ति बेचकर की जाए। अदालत ने मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद करने का निर्देश दिया।
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