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विवि प्रशासन के वादों एवं आश्वासनों से हमारा विश्वास उठ चुका है: शिक्षक संघ

पूर्णिया। पूर्णिया विश्वविद्यालय शिक्षक संघ एवं शिक्षणेतर कर्मचारियों का अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन तीसरे दिन भी जारी रहा। आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए बुधवार से पांच शिक्षणेतर कर्मचारियों ने विवि के रवैये से क्षुब्ध होकर आमरण अनशन भी शुरू कर दिया।आंदोलनरत सभी कर्मचारी और शिक्षक अपनी 11
सूत्री मांगों पर अडिग हैं। जब तक वेतन नहीं मिलेगा, एक भी शिक्षक कर्मी यहां से नहीं हिलेंगे। सभा को शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार सिंह, महासचिव डॉ विनोद कुमार ओझा और संयुक्त सचिव अभिषेक आनंद के साथ डॉ. अनिल कुमार, डॉ उदय नारायण सिंह, डॉ वीणा रानी, डॉ उषा शरण, डॉ. धीरेंद्र मिश्र, धनंजय प्रसाद यादव आदि ने संबोधित किया। आंदोलन को राकंपा के महासचिव मनोज जायसवाल और राजद के जिला प्रवक्ता आलोक राज ने भी संबोधित किया।संघ के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार सिंह ने कहा है कि आंदोलन की एक बड़ी उपलब्धि रही कि विवि प्रशासन पहली बार शिक्षक-कर्मियों से वार्ता करने आई। प्रति-कुलपति प्रो. आरएन यादव ने हमलोगों को आश्वासन देने का प्रयास किया, लेकिन विवि प्रशासन के वादों और आश्वासनों से हमारा विश्वास उठ चुका है। इसलिए हमने उसे गंभीरता से नहीं लिया। तदुपरांत कुलसचिव डॉ. रविद्र नाथ ओझा और उनके साथ परीक्षा नियंत्रक प्रो. विनय कुमार सिंह, पूर्व कुलसचिव डॉ पटवारी यादव, वित्त सलाहकार सहित कई लोग शिक्षक कर्मचारियों से वार्ता करने आए।उन्होंने बताया कि आंदोलनरत शिक्षक-कर्मचारियों की एक ही मांग है कि विवि पहले वेतन का भुगतान करे, निलंबन और प्रति-नियोजन को वापस ले, तभी वार्ता का माहौल बनेगा और फिर हम वार्ता करने की स्थिति में आएंगे। कुलसचिव ने हमारी मांगों को सुनने और समझने की कोशिश की और जल्द ही समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया।


एसपी सिन्हा कमीशन के तहत शिक्षकों के वेतन भुगतान को लेकर ज्ञापन और सभी जानकारियां वित्त सलाहकार को समर्पित किया गया। शिक्षक एवं कर्मियों की मांग है कि जब तक कुलपति विवि मुख्यालय में आकर समस्याओं का समाधान करते हुए समुचित वातावरण का निर्माण कर आंदोलन को समाप्त कराने का प्रयास नहीं करते हैं, तब तक यह आंदोलन अनवरत चलेगा। विवि प्रशासन की ओर से बार-बार कोशिश हो रही है कि अहिसात्मक आंदोलन को हिसात्मक बनाया जाए, लेकिन हम हर हाल में स्वयं को संयमित रखेंगे और अंतिम क्षण तक अपनी मांगों के लिए संघर्षरत रहेंगे।

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