जिले में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहाल है कहें तो कोई दो राय नहीं है।
जी हां, संसाधन व शिक्षकों की कमी की समस्या से अधिकांश स्कूल आज भी जुझ
रही है। प्रारंभिक से लेकर उच्चस्तरीय शिक्षा में शिक्षकों की कमी का रोना
है। प्रारंभिक स्कूलों में छात्र अनुपात में शिक्षक नहीं हैं।
जिसका असर छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल पड़ रहा है। जिले में 1061 प्रारंभिक स्कूलों में तकरीबन सवा तीन लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं। पर, शिक्षक छह हजार के करीब ही हैं। स्थिति यह है कि कहीं दो तो कहीं तीन शिक्षक हैं। हालांकि कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक भी हैं। छात्र-अनुपात में शिक्षकों के सामंजन की भी जिला स्तर पर ठोक व्यवस्था नहीं की जा रही है। जिससे हद तक स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर हो सके। प्रति 30 बच्चे पर एक शिक्षक होना चाहिए। पर, कई स्कूल ऐसे हैं जितने वर्ग तक की पढ़ाई होती हंै उतने भी शिक्षक नहीं हैं। कन्या मवि भदास में आठवीं तक पढ़ाई होती है, पर यहां छह ही शिक्षक हैं। अब हाईस्कूल में अपग्रेड हो गए हैं। शहर स्थित कन्या प्राइमरी स्कूल हाजीपुर दक्षिणी व प्राइमरी स्कूल प्रतापनगर में दो-दो शिक्षक ही हैं। इंटरस्तरीय स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी: जिले के इंटर स्तरीय स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है। वहीं विभिन्न माध्यमिक स्कूलों में कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। जिले में राजकीयकृत 40 माध्यमिक स्कूल सह इंटर स्तरीय हैं। यहां साढ़े चार सौ शिक्षक पदस्थापित हैं। इंटर स्कूल भदास में माध्यमिक स्तर में संस्कृत के शिक्षक नहीं हैं। इंटर स्तरीय के लिए रसायन में नहीं हैं। कमोवेश यही स्थिति अधिकांश माध्यमिक व इंटरस्तरीय स्कूलों में है।
उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक पदस्थापित नहीं: जिले के अधिकांश उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं। यहां संबंधित मिडिल स्कूल के शिक्षक के भरोसे नवमीं व दसवीं की पढ़ाई हो रही है। जिले में विभिन्न चरणों में 65 मिडिल स्कूलों को माध्यमिक में अपगे्रड किया गया है।
प्रारंभिक से लेकर इंटरस्तरीय स्कूलों के लिए शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया चल रही है। जल्द समस्या दूर होगी।
सुरेन्द्र कुमार, डीईओ, खगड़िया
जिसका असर छात्र-छात्राओं के शैक्षणिक वातावरण पर प्रतिकूल पड़ रहा है। जिले में 1061 प्रारंभिक स्कूलों में तकरीबन सवा तीन लाख बच्चे पढ़ाई करते हैं। पर, शिक्षक छह हजार के करीब ही हैं। स्थिति यह है कि कहीं दो तो कहीं तीन शिक्षक हैं। हालांकि कई स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक भी हैं। छात्र-अनुपात में शिक्षकों के सामंजन की भी जिला स्तर पर ठोक व्यवस्था नहीं की जा रही है। जिससे हद तक स्कूलों में शिक्षकों की कमी की समस्या दूर हो सके। प्रति 30 बच्चे पर एक शिक्षक होना चाहिए। पर, कई स्कूल ऐसे हैं जितने वर्ग तक की पढ़ाई होती हंै उतने भी शिक्षक नहीं हैं। कन्या मवि भदास में आठवीं तक पढ़ाई होती है, पर यहां छह ही शिक्षक हैं। अब हाईस्कूल में अपग्रेड हो गए हैं। शहर स्थित कन्या प्राइमरी स्कूल हाजीपुर दक्षिणी व प्राइमरी स्कूल प्रतापनगर में दो-दो शिक्षक ही हैं। इंटरस्तरीय स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी: जिले के इंटर स्तरीय स्कूलों में भी शिक्षकों की कमी है। वहीं विभिन्न माध्यमिक स्कूलों में कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं। जिले में राजकीयकृत 40 माध्यमिक स्कूल सह इंटर स्तरीय हैं। यहां साढ़े चार सौ शिक्षक पदस्थापित हैं। इंटर स्कूल भदास में माध्यमिक स्तर में संस्कृत के शिक्षक नहीं हैं। इंटर स्तरीय के लिए रसायन में नहीं हैं। कमोवेश यही स्थिति अधिकांश माध्यमिक व इंटरस्तरीय स्कूलों में है।
उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक पदस्थापित नहीं: जिले के अधिकांश उत्क्रमित माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक पदस्थापित नहीं हैं। यहां संबंधित मिडिल स्कूल के शिक्षक के भरोसे नवमीं व दसवीं की पढ़ाई हो रही है। जिले में विभिन्न चरणों में 65 मिडिल स्कूलों को माध्यमिक में अपगे्रड किया गया है।
प्रारंभिक से लेकर इंटरस्तरीय स्कूलों के लिए शिक्षक नियोजन की प्रक्रिया चल रही है। जल्द समस्या दूर होगी।
सुरेन्द्र कुमार, डीईओ, खगड़िया