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शैक्षणिक कार्य बंद होने के कारण लाखों बच्चों के भविष्य तथा इन शिक्षकों की स्थिति दयनीय व अंधकार में

मोतिहारी. कोरोना काल में केंद्र सरकार एवं बिहार सरकार द्वारा कृषकों, मजदूरों, उद्योगपतियों एवं समाज के अन्य वर्गों को भी सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई। परंतु इस लॉकडाउन के समय ज्ञान के दीप जलाने वालों में निजी विद्यालयों के शिक्षक एवं ट्यूटर सरकारी सहायता से वंचित रहें। सरकार को इन वर्गों को भी आर्थिक सहायता उपलब्ध करानी चाहिए। उपयुक्त बातें बिहार जागृति संकल्प के अध्यक्ष रणवीर कुमार सिंह ने मधुबन सेंट्रल स्कूल के प्रांगण में आहूत निजी विद्यालयों एवं ट्यूटरों के बैठक में कही।

उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य में इतनी संवेदनशील सरकार की दृष्टि से यह शिक्षक वंचित हो गए, यह सोचनीय विषय है। इस समय व्यापारी वर्ग से लेकर कृषक वर्ग तथा सरकारी सेवा कर्मियों के आय के साधनों के द्वार खुल चुके हैं, परंतु पठन-पाठन के कार्य बंद होने के कारण यह वर्ग भुखमरी के कगार पर हैं। अभी भी यह निश्चित नहीं हो पाया है कि पठन-पाठन का कार्य कब आरंभ किया जाएगा। सोशल डिस्टेंस की परवाह किए बगैर बाजारें खुली, दुकानें खुली, मॉल खुल गए, बसों एवं ट्रेनों की आवाजाही आरंभ हो गई। कार्यालयों में काम सुचारू रूप से चलने लगे, परंतु शैक्षणिक कार्य बंद होने के कारण लाखों बच्चों के भविष्य तथा इन शिक्षकों की स्थिति दयनीय व अंधकार में है।

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