पटना : राष्ट्रीय स्तर
पर महिलाओं के सशक्तीकरण और उन्हें स्वावलंबन देने के मसले पर लगातार
सेमिनार होते हैं. कई तरह की बहस का आयोजन होता है. नतीजा क्या होता है,
यह पता नहीं, लेकिन बिहार की तस्वीर इस मामले में कुछ अलग ही कहानी कहती
है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बालिकाओं के संरक्षण, स्वास्थ्य, शिक्षा
और स्वावलंबन को लेकर प्रतिबद्धता जग जाहिर है. हाल में मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार के नेतृत्व में कैबिनेट ने मुख्यमंत्री कन्या उत्थान कार्यक्रम की
शुरुआत करने का फैसला लिया है. इस योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को
रोकना, कन्याओं के जन्म, निबंधन और संपूर्ण टीकाकरण को प्रोत्साहित करना,
लिंग अनुपात में वृद्धि लाना, बालिका शिशु मृत्यु दर को कम करना, बालिका
शिक्षा को बढ़ावा देना, बाल विवाह पर अंकुश लगाना और कुल प्रजनन दर में
कमी लाना भी शामिल है. इससे पूर्व भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार
में साइकिल योजना की शुरुआत कर, एक क्रांति का आगाज कर दिया था, जिसे पूरे
विश्व ने स्वीकार किया. अब मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना कार्यक्रम भी
एक नया इतिहास लिखने को तैयार है. साइकिल योजना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से
बालिकाओं के लिए शुरू की गयी योजनाओं ने समाज की मानसिकता में बदलाव ला
दिया. लड़कियों को पढ़ने के साथ-साथ परिवार, राज्य एवं देश के लिये कुछ
करने हेतु पंख लगे. आज से पंद्रह साल पहले जब गांव में कोई लड़की साइकिल
चलाती थी, तो गांव वाले उसके पिता को बुलाकर कहते थे कि लड़की को संभालो,
बिगड़ रही है. आज गांव ही नहीं शहरों में भी लड़कियां झुंड में साइकिल
चलाकर स्कूल में पढ़ने जाती है तथा जुडो कराटे का प्रशिक्षण प्राप्त कर हर
विपरीत परिस्थिति का सामना करने के लिये तैयार रहती है, इसी परिवर्तन का
आगाज भी मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना की वजह से हुआ. मुख्यमंत्री
साइकिल योजना की शुरुआत 2007 से हुई थी. यह सिर्फ छात्राओं के लिए थी.
पहले साल नौवीं में पढ़ने वाली सभी 1.63 लाख छात्राओं को राशि दी गयी थी.
दो साल 2009 से नौवीं में पढ़ने वाले छात्रों को भी इस योजना का लाभ दिया
जाने लगा. शुरुआत में दो हजार रुपये साइकिल योजना के लिए छात्र-छात्राओं
को दिये जाते थे. स्कूल में छात्र-छात्राओं के बीच राशि बांटी जाती थी.
बाद में स्कूलों में कैंप लगाकर राशि बांटे जाने लगी. अब सीधे बैंक खातों
में जाती है. सभी बच्चों का बैंक एकाउंट खोल दिये गये हैं और आधार कार्ड
बनवा दिये गये है. बिहार की साइकिल योजना की चर्चा देश के दूसरे राज्यों
और विदेशों में भी हुई. इसके सर्वे के लिए भी लोग आये. कुछ राज्यों व
विदेशों में भी इसे लागू किया गया.
बालिका पोशाक योजना
बालिका पोशाक योजना
राज्य में मुख्यमंत्री बालिका साइकिल
योजना, मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना चल रही है. इस योजना की वजह से
9वीं कक्षा में पढ़ने वाली लड़कियों की संख्या काफी बढ़ गयी है. दो वर्ष
पूर्व के आंकड़ों की मानें, तो 54 प्रतिशत लड़के एवं 46 प्रतिशत लड़कियां
स्कूल जा रही थीं. अब, वह दिन दूर नहीं जब दोनों का प्रतिशत बराबर-बराबर
हो जायेगा. हालिया कैबिनेट के फैसले के तहत शिक्षा विभाग द्वारा पहली से
लेकर दूसरी कक्षा के लिए मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के अंतर्गत
सालाना मिलने वाली राशि को 400 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये किया गया है.
उसी प्रकार शिक्षा विभाग द्वारा तीसरे से लेकर पांचवीं कक्षा के लिए
मुख्यमंत्री पोशाक योजना के अंतर्गत सालाना मिलने वाले 500 रुपये की राशि
को बढ़ाकर 700 रुपये किया गया है. छठी से लेकर आठवीं क्लास के लिए
मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के अंतर्गत सालाना मिलने वाले 700 रुपये की
राशि को बढ़ाकर 1,000 रुपये किया गया है और 9वीं से लेकर 12वीं के लिए
बिहार शताब्दी मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के अंतर्गत सालाना मिलने
वाले 1,000 रुपये की राशि को बढ़ाकर 1,500 रुपये किया गया है.
सेनेटरी नैपकिन योजना
सेनेटरी नैपकिन योजना
बिहार में स्वयं सहायता समूह के
माध्यम से सभी स्वयं सहायता समूह की दीदीयों को बैंकों में खाता खुलवाया
गया है. स्वयं सहायता समूह अपने आपको उत्पादन से भी जोड़ रही है. लड़कियों
को सेनेटरी नैपकीन की राशि नगद देने के साथ सेल्फ हेल्फ ग्रुप को सेनेटरी
नैपकीन बनाने के लिये प्रमोट करने की योजना चल रही है. इसी महीने कैबिनेट
के लिए फैसले की तहत यह भी फैसला लिया गया कि मुख्यमंत्री किशोरी
स्वास्थ्य कार्यक्रम में सैनेटरी नैपकिन के लिए सालाना मिलने वाले 200
रुपये की राशि को बढ़ाकर 300 रुपये किया गया है. इन योजनाओं ने बिहार की
बालिकाओं में आत्मविश्वास की उस रोशनी को जन्म दिया है, जिससे वह वंचित
थी. राज्य सरकार की इन योजनाओं को दूसरे राज्य या तो फॉलो करते हैं या फिर
इसी तर्ज पर अपने यहां इसे लागू करते हैं. जानकार कहते हैं कि
मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि का परिणाम हैं, बिहार में बालिकाओं के लिए चलने
वाली यह योजनाएं.
अब, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान कार्यक्रम
अब, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान कार्यक्रम
मुख्यमंत्री के इस विजन और कैबिनेट
के इस फैसले की जानकारी देते हुए राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने
मीडिया को कहा कि बालिकाओं को शिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना, सम्मानपूर्वक
जीवन यापन करने के अवसर प्रदान करना और परिवार एवं समाज में उनके आर्थिक
योगदान बढ़ाना भी इसी योजना का लक्ष्य है. मुख्य सचिव ने कहा कि
'मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना' एक यूनिवर्सल कवरेज योजना है, अर्थात
राज्य की सभी कन्याओं को जन्म से लेकर स्नातक पास होने तक के लिए होगी. इस
योजना का लाभ परिवार के दो बच्चों तक ही सीमित रहेगा. मुख्यमंत्री बालिका
इंटरमीडिएट प्रोत्साहन योजना के तहत अविवाहित इंटरमीडिएट उत्तीर्ण
बालिकाओं को 10,000 रुपये दिया जाएगा और मुख्यमंत्री बालिका (स्नातक)
प्रोत्साहन योजना के तहत स्नातक उत्तीर्ण करने वाली बालिकाओं को 25,000
रुपये दिया जायेगा. अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि सरकार के इस नये कदम से एक
लड़की को जन्म से लेकर स्नातक होने तक कुल 54,100 रुपये मिल सकेंगे.
मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना पर सालाना 2,221 रुपये करोड़ से अधिक का
खर्च आयेगा. इस योजना से तकरीबन एक करोड़ 60 लाख बालिकाएं लाभान्वित
होंगी.