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मात्र 15 शिक्षकों पर 5 हजार छात्राओं को पढ़ाने का भार

बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती पर सबसे पहले महिला कॉलेज के रूप में मंहथ महादेवानंद महिला कॉलेज की स्थापना वर्ष 1959 में हुई। महंथ महादेवानंद गिरी ने महिला शिक्षा जागरुकता को लेकर मात्र दो छात्राओ से काॅलेज की शुरुआत की थी।
आज वही महिला कॉलेज में शिक्षकों की संख्या में बढोतरी होने की बजाए काफी कम हो गई है। महिला कालेज में छात्राओ की संख्या जहां 5 हजार है, वहीं शिक्षक मात्र 15 हैं। जबकि शिक्षकों के स्वीकृत पद 40 हैं। तो कैसे संभव होगा पठन-पाठन का कार्य। महिला काॅलेज की परीक्षा नियंत्रक अधिकारी प्रो लतिका वर्मा बताती है कि कॉलेज में जगह की काफी कमी है, जगह नहीं होने के कारण क्लास रुम नहीं है। कभी-कभी ज्यादा छात्राओं के आने से दो शिफ्ट में क्लास लेना पड़ता है। कॉलेज में नो फीस की परम्परा है। इस कारण कॉलेज फंड में रकम नहीं हैं। जिसके कारण कई कार्य नहीं हो पा रहे हैं। सबसे बड़ी बात की 5 हजार छात्राओं पर मात्र 15 शिक्षक हैं। कई विषय के शिक्षक नहीं होने की छात्राएं कॉलेज ताे आती हैं लेकिन पढ़ाई नहीं कर पाती है।

शिक्षक रिटायर हुए पर नियुक्ति नहीं नतीजा कई विषयों के शिक्षक नहीं

कॉलेज मात्र 15 शिक्षकों के भरोसे चलता है। संस्कृत, उर्दु, गणित, सोशियोलॉजी व अन्य कई विभाग में शिक्षक हैं ही नहीं। जो शिक्षक रिटायर करते गए, उसके बाद उस पद पर किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई। जिसको लेकर छात्राएं को सिर्फ डिग्री मिलती है, नॉलेज नहीं।

शिक्षा का बंटाधार

1959 में स्थापित हुआ था महंथ महादेवानंद महिला कॉलेज, शिक्षकों के 40 पद किए गए हैं स्वीकृत

हर विषय की नहीं होती पढ़ाई

महिला काॅलेज की छात्रा रागिनी सिंह कहती हैं कि शिक्षक नहीं होने के कारण कॉलेज सभी आते हैं लेकिन हर विषय की पढ़ाई नहीं हो पाती है। जिस स्तर की शिक्षा मिलनी चाहिए, वो नहीं मिल पाती है।

पढ़ाई के लिए कोचिंग में दाखिला

अदिति राज का कहना है कि काॅलेज में संख्या काफी कम है। जिसको लेकर हमलोग सिर्फ कॉलेज कार्यलय का ही काम करवाने आते हैं। कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती, इस कारण कोचिंग संस्थान में दाखिला लेना पड़ता है।

प्रबंधन के सामने उठाएंगे मसला

कॉलेज अध्यक्ष प्रिया सिंह ने कहा कि कॉलेज में शिक्षकों की संख्या कम है। पढ़ाई में दिक्कत होती है, हम छात्राओं के हित के लिए काम करेंगे। कॉलेज प्रबंधन के साथ बैठक में इस मुद्दे को हम प्रमुखता से रखेंगे।

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