पटना। नियोजित शिक्षकों का मसला सरकार के लिए गले का फांस बनते जा रहा है। एक तरफ हाईकोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने का फैसला सुनाया है तो दूसरी ओर सरकार के रवैया से नाराज नियोजित शिक्षकों ने दो फरवरी से हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है।
इधर, भाजपा और जदयू के विधायक भी नियोजित शिक्षकों के पक्ष में खड़े हो गए हैं और सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले की मुखालफत कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को पटना हाई कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए बिहार सरकार को निर्देशित किया था कि शिक्षकों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। कोर्ट ने 2009 से बकाया पैसे को जोड़कर देने के आदेश भी दिए थे।
सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बनाया है। इन सबके बीच नियोजित शिक्षकों ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है और दो फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी।
नियोजित शिक्षकों के मसले पर सड़क से लेकर सदन तक सरकार को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समान कार्य के लिए समान वेतन के मुद्दे को लेकर भाजपा और जदयू के विधायकों ने ही बिहार विधान परिषद् में सरकार को घेरना शुरू कर दिया।
भाजपा विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पटना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में ही नियोजित शिक्षकों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन देने का फैसला सुनाया था और ऐसी परिस्थिति में अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो वहां भी सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी। भाजपा विधायक ने कहा कि शिक्षा विभाग का वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में ज्यादातर केस हारने का रिकॉर्ड रहा है।
पार्षद नवल किशोर यादव, जेडीयू विधायक नीरज कुमार सिंह, जदयू कोटे के एक और विधायक संजीव कुमार सिंह ने नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने की मांग सदन में जोर-शोर से उठाईI
जदयू विधायक नीरज कुमार सिंह ने कहा कि बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले न्याय आदेशों का पुनरावलोकन करना चाहिए और विस्तारित तौर पर बैठक कर समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए।
नीरज कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, ऐसे में केंद्र और राज्य को मिलकर न्यायिक आदेश के आलोक में समस्या का समाधान निकालना चाहिए। जदयू विधायक ने कहा कि क्योंकि राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, लिहाजा केंद्र सरकार को भी पहल करने की जरूरत है।
एनडीए विधायकों के दबाव में विधान परिषद के कार्यकारी सभापति ने बहस के बाद बीच का रास्ता यह निकाला कि सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले शिक्षा मंत्री, अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलकर बैठेंगे और बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी।
बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारून रशीद के अध्यक्षता में बैठक होगी और बैठक के बाद कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। उम्मीद यह जताई जा रही है कि सरकार ने फिलहाल सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय टाल दिया है।
बता दें कि नियोजित शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पहले ही मामले को लेकर कैविएट फाइल किया जा चुका है। कैविएट फाइल करने के बाद सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट नियोजित शिक्षकों के पक्ष जानने के बाद ही कोई फैसला सुनाएगी।
इधर, भाजपा और जदयू के विधायक भी नियोजित शिक्षकों के पक्ष में खड़े हो गए हैं और सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले की मुखालफत कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बिहार के साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को पटना हाई कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए बिहार सरकार को निर्देशित किया था कि शिक्षकों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। कोर्ट ने 2009 से बकाया पैसे को जोड़कर देने के आदेश भी दिए थे।
सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बनाया है। इन सबके बीच नियोजित शिक्षकों ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया है और दो फरवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी।
नियोजित शिक्षकों के मसले पर सड़क से लेकर सदन तक सरकार को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समान कार्य के लिए समान वेतन के मुद्दे को लेकर भाजपा और जदयू के विधायकों ने ही बिहार विधान परिषद् में सरकार को घेरना शुरू कर दिया।
भाजपा विधान पार्षद नवल किशोर यादव ने सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि पटना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में ही नियोजित शिक्षकों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन देने का फैसला सुनाया था और ऐसी परिस्थिति में अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है तो वहां भी सरकार को मुंह की खानी पड़ेगी। भाजपा विधायक ने कहा कि शिक्षा विभाग का वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में ज्यादातर केस हारने का रिकॉर्ड रहा है।
पार्षद नवल किशोर यादव, जेडीयू विधायक नीरज कुमार सिंह, जदयू कोटे के एक और विधायक संजीव कुमार सिंह ने नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने की मांग सदन में जोर-शोर से उठाईI
जदयू विधायक नीरज कुमार सिंह ने कहा कि बिहार सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले न्याय आदेशों का पुनरावलोकन करना चाहिए और विस्तारित तौर पर बैठक कर समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की जानी चाहिए।
नीरज कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, ऐसे में केंद्र और राज्य को मिलकर न्यायिक आदेश के आलोक में समस्या का समाधान निकालना चाहिए। जदयू विधायक ने कहा कि क्योंकि राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा, लिहाजा केंद्र सरकार को भी पहल करने की जरूरत है।
एनडीए विधायकों के दबाव में विधान परिषद के कार्यकारी सभापति ने बहस के बाद बीच का रास्ता यह निकाला कि सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले शिक्षा मंत्री, अधिकारी और जनप्रतिनिधि मिलकर बैठेंगे और बीच का कोई रास्ता निकालने की कोशिश की जाएगी।
बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारून रशीद के अध्यक्षता में बैठक होगी और बैठक के बाद कोई अंतिम फैसला लिया जाएगा। उम्मीद यह जताई जा रही है कि सरकार ने फिलहाल सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय टाल दिया है।
बता दें कि नियोजित शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पहले ही मामले को लेकर कैविएट फाइल किया जा चुका है। कैविएट फाइल करने के बाद सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट नियोजित शिक्षकों के पक्ष जानने के बाद ही कोई फैसला सुनाएगी।