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कोर्ट ने पूछा- तीन साल बाद शिक्षकों का तबादला क्‍यो रद गया

पटना [राज्य ब्यूरो]। तीन साल पहले विभिन्न विद्यालयों से 54 शिक्षक स्थानांतरित होकर पटना आए थे। पटना के नये जिला शिक्षा पदाधिकारी ने पद संभालते ही 30 अक्टूबर को इन शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

पूर्व में स्थानांतरित होकर आये शिक्षकों को पहले वाले स्थान पर भेजने का निर्देश दे दिया। जिला शिक्षा पदाधिकारी के इस आदेश पर पटना हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को 15 दिसंबर के पहले तक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय की पीठ ने कमलेश कुमार, सुमन कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। अदालत ने अलका रानी एवं सविता कुमारी की याचिका में तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जमकर खिंचाई कर दी। अदालत ने जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यकलाप पर हैरानी जाहिर कर प्रधान सचिव को स्वयं शपथ पत्र दायर करने को कहा।
क्या है मामला
पटना जिले के बाहर कार्यरत विज्ञान के शिक्षक, मैट्रिक प्रशिक्षित शिक्षक एवं 34,500 में से नियुक्त हुए शिक्षक 2015 में स्थानांतरित होकर पटना आए थे। शिक्षा निदेशक के उक्त आदेश को तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी मानने को तैयार नहीं हुए। लेकिन ये तबादले रद नहीं किए गए।

प्रधान सचिव ने मामले की जांच कराई जिसमें गड़बड़ी नहीं पाई गई। लेकिन जब पटना में नये जिला शिक्षा पदाधिकारी आये शिक्षकों के स्थानांतरण को रद कर दिया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने नियम कानून को मजाक बना रखा है क्या।

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