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सारण में फर्जी जजमेंट पर शिक्षक बनने का खेल है पुराना

 छपरा। सारण के एकमा प्रखंड में अपीलीय प्राधिकारी के फर्जी जजमेंट के आधार पर 87 अभ्यर्थी के शिक्षक बनने का मामला प्रकाश में आने के बाद शिक्षक व शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। लेकिन शिक्षा विभाग के सूत्रों की माने तो एकमा प्रखंड में 87 शिक्षक अभ्यर्थियों के फर्जी तरीके से शिक्षक बनने का मामला पकड़े जाने पर हाय तौबा मची है। सारण में यह पुराना खेल है।
जिसमें शिक्षा विभाग के लिपिक से लेकर बाहरी व्यक्तियों की संलिप्तता है। सूत्रों का कहना है कि जिले के मांझी, बनियापुर, पानापुर, मशरक व छपरा सदर प्रखंड में फर्जी जजमेंट पर कई शिक्षकों की बहाली हुई। इसकी जांच होने पर सारण में शिक्षक नियुक्ति घोटाला का बम ब्लास्ट हो जाएगा, जिस पर अभी पर्दा पड़ा हुआ है। उल्लेखनीय हो कि एकमा प्रखंड में शिक्षक अभ्यथियों फर्जी जजमेंट पर शिक्षक बनने के लिए पटना हाई कोर्ट में वाद दाखिल किया गया था। जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने एकमा शिक्षक नियोजन इकाई को अग्रेतर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। जिसके बाद छानबीन शुरू हुई। इस बाबत एकमा प्रखंड में जिला अपीलीय प्राधिकार का कोई आफिस कापी नही मिला। एकमा बीडीओ ने हाई कोर्ट में शपथ देने के पहले प्राधिकार के वाद संख्या 164/ 11 के जजमेंट में सत्यापित कापी की मांग की। जब अपीलीय प्राधिकार ने इसका जवाब दिया तो शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। अपीलीय प्राधिकार के वर्तमान पीठासीन पदाधिकारी ने कार्यालय में जजमेंट की कापी नहीं होने पर बीडीओ के पत्र के आलोक में अपीलीय पदाधिकारी के तत्कालीन पीठासीन पदाधिकारी ब्रजनंदन प्रसाद से जानकारी मांगी। उन्होंने जवाब में जो कहा इससे भूचाल आ गया। पूर्व पीठासीन पदाधिकारी ने कहा है कि वे छपरा में जब तक प्राधिकार का जज रहे है इस अवधि में इतनी ज्यादा संख्या में शिक्षक बनाने का आदेश नहीं दिया। प्राधिकार का आदेश फर्जी है। जजमेंट की कापी पर जो हस्ताक्षर है वह भी मेरा नहीं है। इसी फर्जी जजमेंट की काफी के आधार पर अभ्यर्थी पटना हाई कोर्ट में परिवाद दाखिल कर एकमा प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई पर नियोजन नहीं करने का आरोप लगाया था।

इनसेट :
वर्ष 2008 में हुई अधिकांश नियोजन फर्जी

छपरा : सारण जिले के वर्ष 2008 में हुई अधिकांश नियोजन में गड़बड़ी हुई है। इसमें हुये अधिकांश मामले में अभ्यर्थी जिला शिक्षक अपीलीय प्राधिकार में गये है। जिसमें कई अभ्यर्थी को जीत भी मिली। यही से शुरू हुआ फर्जीवाड़ा का खेल। अपीलीय प्राधिकार एक -दो अभ्यर्थी के पक्ष में फैसला सुनाते हुये नियोजन इकाई को नियोजन करने का निर्देश देते था। वही नौकरी देने वाले माफिया एक के आगे एक और लिखकर ग्यारह लोगों का नियोजन कर देते थे। जिसमें पकड़े नहीं जाने के बाद उनका हौसला बढ़ता गया। वे फर्जी जजमेंट ही देने लगे है। इसका नतीजा एकमा प्रखंड में देखने को मिला है। एकमा प्रखंड में 2008 में 91 शिक्षकों की रिक्ति थी। जिसमें बहाली को ले जिला अपीलीय प्राधिकार के वाद संख्या 164/11 के फर्जी जजमेंट की कापी के आधार पर 87 अभ्यर्थियों ने नियोजन के लिये हाई कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। अपीलीय प्राधिकार के वर्ष 2013 के जजमेंट के आधार पर कोर्ट ने अग्रेतर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। जिसकी जांच में यह पूरा मामला सामने आया है। यह बात भी सामने आई है कि अपीलीय प्राधिकार ने इस तरह का कोई आदेश ही नहीं दिया है। साथ ही यह भी स्पष्ट हुआ है कि अपीलीय प्राधिकारी व शिक्षा विभाग के लोगों के शामिल हुये बिना फर्जी जजमेंट की कापी नही बन सकती है। हालांकि हाल में ही अपीलीय प्राधिकार के फर्जी जजमेंट पर बनियापुर में बहाल 11 शिक्षकों का वेतन बंद किया गया है।
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