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फर्जी प्रमाणपत्र लाओ, आंगनबाड़ी में नौकरी पाओ

अररिया। सुशासन के ताजा दौर में अधिक नंबर वाला प्रमाणपत्र लाओ व नौकरी ले जाओ की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्र पर बहाली प्रक्रिया चल रही है । हैरत की बात तो है शिकायत मिलने के बाद भी विभागीय अधिकारी प्रमाणपत्र का सत्यापन कराना भी मुनासिब नहीं समझते हैं और नियुक्ति पत्र भी थमा देते हैं।
शनिवार को रानीगंज प्रखंड के बसैटी पंचायत में आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 193 पर रिक्त पड़े सहायिका पद के चयन के लिए आम सभा शुरू हुई । चयन होने से पूर्व ही आम सभा पंजी पर ग्रामीणों से हस्ताक्षर करा लिया गया गया । इस पद के लिए चार अभ्यर्थियों ने आवेदन दिया था । सहायिका पद के लिए आठवीं पास की योग्यता अनिवार्य बतायी गयी थी। जब सभी उम्मीदवारों के प्रमाणपत्र को सार्वजनिक किया गया तो सब से अधिक अंक वाले अभ्यर्थी अफसाना के आवेदन को शेष अभ्यर्थियों ने फर्जी बताया तथा प्रमाणपत्र की सत्यापन के बाद ही चयन पत्र निर्गत करने की मांग उठा दी । ग्रामीणों का आरोप था कि बसैटी पंचायत का निवासी होने के बावजूद अफसाना ने मझुवा पूरब पंचायत के लालपुर मध्य विद्यालय का प्रमाणपत्र संलग्न किया है । इस अभ्यर्थी ने मझुवा स्कूल देखा भी नहीं होगा तो वहां से प्रमाणपत्र कैसे निर्गत किया गया। जबकि बसैटी पंचायत में और इसके आसपास ढेर सारे स्कूल है। ग्रामीणों का आरोप था कि चयन कमिटी की मिलीभगत से बगैर प्रमाणपत्र की जांच किये अ़फसाना को चयन पत्र थमा दिया गया है। शिकायत करने वालों में मुस्ताक अंसारी, आ•ाद , नदीम, सबा परवीन, जुमराती अंसारी आदि शामिल थे ।
विद्यालय में नहीं है रिकॉर्ड

इधर, ग्रामीणों की शिकायत पर अफसाना खातून की कक्षा आठ के प्रमाणपत्र की सच्चाई जानने मध्य विद्यालय लालपुर मझुवा के प्रधानाध्यापक से संपर्क करने पर कुछ चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। स्कूल के वर्तमान प्रधानाध्यापक प्रफुल कुमार ने बताया कि जिस तिथि का प्रमाणपत्र निर्गत हुआ है उस समय का कोई रिकॉर्ड विद्यालय में मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस प्रधानाध्यापक का इस प्रमाणपत्र पर हस्ताक्षर है वह तो दस वर्ष पूर्व ही सेवानिवृत हो चुके हैं । प्रथम ²ष्टया ही यह प्रमाणपत्र फर्जी प्रतीत होता है। वहीं एलएस अनिता वर्मा ने कुछ भी बताने से परहेज किया । वही ग्रामीणों की माने तो ऐसे कई गिरोह सक्रिय है जो पैसा लेकर प्रमाणपत्र की धड़ल्ले से बिक्री करते हैं और आंगन बाड़ी केंद्रों पर नौकरी दिलवाते हैं। इस गिरोह में शिक्षा विभाग, बाल विकास कर्मी व बिचौलियों की मिलीभगत रहती है ।
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